Hindi Newsधर्म न्यूज़Karva Chauth: This will be the best time for Karwa Chauth Puja on 1st November read vrat katha

Karwa Chauth Katha: करवा चौथ पूजा का बेस्ट मुहूर्त, यहां पढ़ें व्रत की कथा

Karva Chauth Katha: 1 नवंबर के दिन सुहागिन महिलाएं करवा चौथ व्रत रख अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करेंगी। करवा चौथ की पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा का पाठ करना बेहद जरूरी माना जाता है।

Shrishti Chaubey लाइव हिंदुस्तान, नई दिल्लीWed, 1 Nov 2023 08:25 AM
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करवा चौथ कथा: शादीशुदा महिलाएं करवा चौथ का व्रत अपनी सुहाग की सलामती के लिए रखती हूं इस साल करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर यानि बुधवार के दिन रखा जाएगा। करवा चौथ का निर्जला व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। वहीं, करवा चौथ की पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा का पाठ करना बेहद जरूरी माना जाता है। इसलिए लिए जानते हैं करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त और करवा चौथ की कथा-

करवा चौथ पर दुर्लभ संयोग 
करवा चौथ पर 3 शुभ योग का इस साल निर्माण होगा। शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और परिघ योग के शुभ संयोग में करवा चौथ मनाया जाएगा। सुबह 6:32 से सर्वार्थ सिद्धि योग की शुरुआत होगी, जो अगले दिन सुबह 4:34 तक रहेगा। वहीं, 2 बजकर 05 मिनट तक दोपहर के समय परिघ योग रहेगा, जिसके बाद से शिव योग की शुरुआत हो जाएगी। शिव योग अगले दिन तक रहने वाला है। करवा चौथ के दिन इस साल मृगशिरा नक्षत्र का निर्माण भी होगा।  

करवा चौथ मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि की शुरुआत: रात 09:30, 31 अक्टूबर 2023 से 
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि का समापन: रात 09:19, 01 नवंबर 2023 तक 
पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05:44 से रात 07:02 तक, 01 नवंबर 
करवा चौथ पर चांद निकालने का समय: रात 08:26, 01 नवंबर

करवा चौथ व्रत कथा
एक साहूकार के 7 लड़के और 1 लड़की थी। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सेठानी, उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात के दौरान साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन करने का आग्रह किया। फिर बहन ने अपने भाई को बताया की आज उसने करवा चौथ का व्रत रखा है और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण कर सकती है। भाइयों से अपनी बहन की ये हालत देखी नहीं जा रही थी। फिर सबसे छोटा भी दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। वो दीपक ऐसा प्रतीत होता जैसे की चतुर्थी का चांद हो। उसे देख कर सातों भाइयों की एकलौती बहन अर्घ्‍य देकर भोजन करने बैठ जाती है। जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है, उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़े में बाल निकल आता है और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तभी पति के मौत की खबर उसे मिलती है। वह बेहद दुखी हो जाती है।

तब उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। इस पर करवा संकल्प लेती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवित करके रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है और देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह इकट्ठा करती जाती है।

एक साल बाद फिर चौथ का दिन जब आता है तब वह व्रत रखती है और शाम को सुहागिनों से अनुरोध करती है कि 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' लेकिन हर कोई मना कर देती है। आखिर में एक सुहागन उसकी बात मान लेती है। इस तरह से उसका व्रत पूरा होता है और उसके सुहाग को नए जीवन का आर्शिवाद मिलता है। करवा चौथ की कथा को अलग-अलग तरीकों से कई सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन पढ़ती हैं। 

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

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