Karva Chauth 2020: आज यहां पढ़ें करवा चौथ व्रत की संपूर्ण कहानी
विवाहित महिलाओं का पति की लम्बी उम्र की कामना के लिए रखा जानेवाला महापर्व इस बार 4 नवंबर का है। इस बार करवा चौथ पर स्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। सुहागिनों के लिए यह करवा चौथ...
विवाहित महिलाओं का पति की लम्बी उम्र की कामना के लिए रखा जानेवाला महापर्व इस बार 4 नवंबर का है। इस बार करवा चौथ पर स्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। सुहागिनों के लिए यह करवा चौथ अखंड सौभाग्य देनेवाला होगा। करवा चौथ पर महिलाएं सुबह सरगी खाकर व्रत शुरू करती हैं। इसके बाद व्रत की कथा पढ़ी जाती है। यहां पढ़ें करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त
करवा चौथ की तिथि और शुभ मुहूर्त :
तिथि : 4 नवंबर
-चतुर्थी तिथि प्रारंभ : 3 नवंबर रात्रि
-चतुर्थी तिथि समाप्त : 4 नवंबर रात्रि
करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त-
संध्या पूजा का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर (बुधवार)- शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक।
यहां हम आपके लिए लाएं है करवा चौथ व्रत की कथा:
Karva Chauth Vrat katha in hindi: एक ब्राह्मण के सात पुत्र थे और वीरावती नाम की इकलौती पुत्री थी। सात भाइयों की अकेली बहन होने के कारण वीरावती सभी भाइयों की लाडली थी और उसे सभी भाई जान से बढ़कर प्रेम करते थे. कुछ समय बाद वीरावती का विवाह किसी ब्राह्मण युवक से हो गया। विवाह के बाद वीरावती मायके आई और फिर उसने अपनी भाभियों के साथ करवाचौथ का व्रत रखा लेकिन शाम होते-होते वह भूख से व्याकुल हो उठी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही खा सकती है। लेकिन चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।
वीरावती की ये हालत उसके भाइयों से देखी नहीं गई और फिर एक भाई ने पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा लगा की चांद निकल आया है। फिर एक भाई ने आकर वीरावती को कहा कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखा और उसे अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ गई।उसने जैसे ही पहला टुकड़ा मुंह में डाला है तो उसे छींक आ गई। दूसरा टुकड़ा डाला तो उसमें बाल निकल आया। इसके बाद उसने जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश की तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिल गया।
उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। एक बार इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी करवाचौथ के दिन धरती पर आईं और वीरावती उनके पास गई और अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना की। देवी इंद्राणी ने वीरावती को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करवाचौथ का व्रत करने के लिए कहा। इस बार वीरावती पूरी श्रद्धा से करवाचौथ का व्रत रखा। उसकी श्रद्धा और भक्ति देख कर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंनें वीरावती सदासुहागन का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया। इसके बाद से महिलाओं का करवाचौथ व्रत पर अटूट विश्वास होने लगा।
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