Hindi Newsधर्म न्यूज़Janmashtami 2022: Lord Krishna 5249th birth anniversary 19 August Rajat Kamdhenu Swarupa will go to Mathura for the first consecration of Thakur ji on Krishna janmashtami - Astrology in Hindi

Janmashtami 2022: भगवान श्रीकृष्ण का 5249 वें जन्ममहोत्सव आज, मथुरा में रजत कामधेनु स्वरूपा गो करेंगी ठाकुर जी का पहला अभिषेक

भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म महोत्सव शास्त्रत्तीय मर्यादाओं एवं परंपराओं के अनुसार 19 अगस्त को मनाया जाएगा। जन्माष्टमी पर कृष्ण जन्मस्थान पर रजत कामधेनु स्वरूपा गो प्रतिमा ठा

Anuradha Pandey हिन्दुस्तान संवाद, मथुराFri, 19 Aug 2022 05:12 AM
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भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म महोत्सव शास्त्रत्तीय मर्यादाओं एवं परंपराओं के अनुसार 19 अगस्त को मनाया जाएगा। जन्माष्टमी पर कृष्ण जन्मस्थान पर रजत कामधेनु स्वरूपा गो प्रतिमा ठाकुरजी का प्रथम अभिषेक करेंगी। जन्माष्टमी के लिए श्री कृष्ण जन्मस्थान को भव्य रूप दिया जारहा है।

इस संबंध में बुधवार को पत्रकारों को जानकारी देते हुए श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा-संस्थान के सचिव कपिल शर्मा एवं वरिष्ठ सदस्य गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के 5249 वें जन्ममहोत्सव के अवसर पर जन्मस्थान की साज-सज्जा, ठाकुरजी की पोषाक, श्रंगार नयनाभिराम होंगी। उन्होंने बताया कि 19 अगस्त को सुबह शहनाई एवं नगाड़ों के वादन के साथ भगवान की मंगला आरती के दर्शन सुबह 5:30 बजे से होंगे।

सुबह 8:00 बजे भगवान का दिव्य पंचामृत अभिशेक किया जायेगा एवं भगवान के पवित्र स्त्रत्तेतों का पाठ एवं पुष्पार्चन होगा। सुबह 10:00 बजे भव्य पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन लीलामंच पर किया जायेगा। ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सहयोग से पुष्पांजलि कार्यक्रम के उपरान्त ब्रज एवं देश के प्रसिद्ध कलाकार अपनी भावांजलि लीलामंच पर देंगे। जन्म महाभिषेक का मुख्य एवं कार्यक्रम रात्रि 11:00 बजे श्रीगणेश-नवग्रह आदि पूजन से शुरू होगा।

तदोपरान्त 1008 कमल-पुष्प से ठाकुरजी का सहस्त्रत्तर्चन करते हुऐ आह्वान किया जाएगा। रात्रि 12:00 बजे भगवान के प्राकट्य के साथ संपूर्ण मंदिर परिसर में ढोल-नगाड़े, मृदंग, झांझ-मंजीरे बज उठेंगे। साथ ही हरिबोल के साथ असंख्य भक्तजन-संत नाच उठेंगे। चतुर्वेदी ने बताया कि भगवान के जन्म की महाआरती इसके साथ ही शुरू हो जाएगी, जो रात्रि 12:05 बजे तक चलेगी। ढोल एवं मृदंग अभिषेक स्थल पर तो बजेंगे ही साथ-ही-साथ सम्पूर्ण मंदिर परिसर में स्थान-स्थान पर भी इनका वादन होगा। इसके पश्चात केसर आदि सुगन्धित द्रव्यों से लिपटे हुये भगवान श्रीकृष्ण के चल विग्रह मोर्छलासन में विराजमान होकर अभिषेक स्थल पर पधारेंगे।

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