ऐसे मित्र को फौरन त्यागने में ही है आपकी भलाई, जानें क्या कहती है आज की चाणक्य नीति
Chanakya niti: आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में मित्र से जुड़ी कई बातें बताई हैं। कई बार लोग मित्रों को परखना मुश्किल हो जाता है कि वह सच्चा है या धोखेबाज। जानें आज की चाणक्य नीति-
Chanakya niti: आचार्य चाणक्य ने अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में मित्र से जुड़ी कई नीतियां वर्णित की हैं। इसके साथ ही उन्होंने सच्चे व धोखेबाज मित्र में भी अंतर बताया है। चाणक्य ने अपनी नीतियों में धन प्राप्त करने के गुण बताए हैं। कहते हैं कि आचार्य चाणक्य की नीतियों का पालन करना मुश्किल होता है लेकिन जिसने भी इन्हें अपनाया उसे सफलता हासिल करने से कोई नहीं रोक सका है।
आचार्य चाणक्य ने दूसरे अध्याय के एक श्लोक में बताया है कि किस तरह के मित्र को फौरन त्यागने में भलाई होती है। आप भी जान लें क्या कहती है चाणक्य नीति-
"परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्।
वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम् ॥"
इस श्लोक का अर्थ है कि जो पीठ पीछे कार्य को बिगाड़े और सामने होने पर मीठी-मीठी बातें बनाए, ऐसे मित्र को उस घड़े के समान त्याग देना चाहिए जिसके मुंह पर तो दूध भरा होता है लेकिन अंदर विष होता है। चाणक्य कहते हैं कि जो मित्र चिकनी-चुपड़ी बातें बनाता हो और पीठ पीछे उसकी बुराई करके काम को बिगाड़ देता हो, ऐसे मित्र को त्याग देने में ही भलाई है। चाणक्य कहते हैं कि वह उस बर्तन के समान है, जिसके ऊपर के हिस्से में दूध भरा है लेकिन अंदर विष भरा हुआ हो।
ऊपर से मीठे और अंदर से दुष्ट व्यक्ति को मित्र नहीं कहा जा सकता है। यहां एक बात विशेष रूप से ध्यान देने की है कि ऐसा मित्र आपके व्यक्तिगत और सामाजिक वातावरण को भी आपके प्रतिकूल बना देता है।
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