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अनंत प्रकाश हमारे भीतर है

प्रभु को पाना कोई मुश्किल कार्य नहीं है। इसके लिए हमें एक सच्चा इनसान बनना है। हमें मोह-माया की जिंदगी में नहीं फंसना है।

Saumya Tiwari संत राजिंदर सिंह महाराज, नई दिल्लीTue, 13 Sep 2022 11:33 AM
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जिंदगी में हम क्या पाना चाहते हैं, यह जानते हुए भी हम बहुत-सी बार अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाते। हम एक ऐसे माहौल में जी रहे हैं, जहां मोह-माया का बहुत बोलबाला है, जहां हर दिन नए आकर्षण हमारे सामने आते हैं और हम उनके अंदर धंसते चले जाते हैं। हम किसी न किसी धर्म के अंदर पैदा होते हैं। हर धर्म यही सिखाता है कि इनसान को प्रभु से जुड़ना है। लेकिन यह जानते हुए भी हम मोह-माया की दुनिया में भटक जाते हैं। कभी इधर जाते हैं, कभी उधर जाते हैं और यह भूल जाते हैं कि रोशनी हमारे भीतर ही है, प्रभु ने अपनी ज्योति हम सबके अंदर जलाई हुई है। वे हमारे भीतर बैठे हुए हैं। उनसे ज्यादा करीब कोई नहीं हो सकता। हमें सिर्फ उन्हें पुकारना है।

हमें अंदर की दुनिया की ओर कदम उठाने हैं। सभी महापुरुष हमें अंतर्मुख होने के लिए समझाते आए हैं। परमात्मा हर एक के साथ है। हम उनसे अलग नहीं हैं। यह हमारा नजरिया है, जो कहता है कि हम प्रभु से दूर हैं। जब प्रभु हमारे अंदर बसा हुआ है, तो उससे नजदीक तो और कुछ हो नहीं सकता। लेकिन मोह-माया के जाल में हम इतने फंसे हुए हैंकि यह जानते हुए कि परमात्मा हमारे अंदर है , हम फिर भी उस जाल से निकल नहीं पाते। हम जानते हैं कि सच्चाई की जिंदगी जीना अच्छा है। हम जानते हैं कि अहिंसा का रास्ता अपनाना है। हम जानते हैं कि किसी को दुख-दर्द नहीं देना है। हम जानते हैं कि नम्रता से जीना है। हम जानते हैं कि पवित्रता से जीना है। हम जानते हैं कि निष्काम सेवा-भाव से जीना है। लेकिन यह सब जानते हुए भी हम अपनी जिंदगी वैसी नहीं बनाते। सच्चा इनसान बनना ही मुश्किल है, लेकिन जब हम एक सच्चा इनसान बन जाते हैं, तो प्रभु को पाना कोई मुश्किल कार्य नहीं है। इसके लिए हमें एक सच्चा इनसान बनना है। मोह-माया की जिंदगी में नहीं फंसना है। इससे निकलना आसान नहीं है, लेकिन जितना ज्यादा हाथ-पैर मारेंगे, उतना ही धंसते चले जाएंगे। जब तक अंदर की दुनिया में नहीं जाएंगे, तब तक जिंदगी रोशन नहीं हो पाएगी। वह रोशनी हमारे भीतर है, पर हम अंधेरी जिंदगी जी रहे हैं।

महापुरुष समझाते आए हैं कि यह एक सुनहरा मौका है, हम इसे गंवाएं नहीं और तेजी से सही रास्ते की ओर कदम उठाएं। यह रास्ता अंदरूनी रास्ता है। यह अभ्यास का रास्ता है। यह शांत अवस्था में बैठने का रास्ता है। यह एक ऐसा रास्ता है, जिसके जरिये हम अपनी मंजिल तक पहुंच पाएंगे।

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