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Shani margi: मकर राशि में स्वगृही शनि देव मार्गी, इन राशियों के लिए ला रहे हैं थोड़ी चिंता का समय

ग्रहों में न्यायधीश के नाम से प्रसिद्ध शनिदेव मकर राशि मे  मार्गी गति से स्वगृही होकर गोच करते हुए चराचर जगत पर अपना प्रभाव स्थापित करते रहेंगे। इस तरह 23 अक्टूबर को मकर राशि में ही मार्गी गति से संचर

Anuradha Pandey पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली, नई दिल्लीSat, 22 Oct 2022 05:12 PM
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ग्रहों में न्यायधीश के नाम से प्रसिद्ध शनिदेव मकर राशि मे  मार्गी गति से स्वगृही होकर गोच करते हुए चराचर जगत पर अपना प्रभाव स्थापित करते रहेंगे। इस तरह 23 अक्टूबर को मकर राशि में ही मार्गी गति से संचरण आरंभ कर देंगे जो वर्ष भर इसी राशि में रहते हुए 17 जनवरी 2023 तक मकर राशि मे गोचर करते हुए शनि देव अपने फल में संपूर्णता प्रदान करेंगे। कर्मफल प्रदायक ग्रह शनि देव मकर राशि में मार्गी होकर गति करते समय सभी जातकों पर सकारात्मक या नकारात्मक रूप से प्रभाव स्थापित करेंगे।

भारत पर प्रभाव 
 स्वतंत्र भारत की कुंडली वृष लग्न की है ऐसे में शनिदेव मकर राशि मे स्वगृही होकर भाग्य वर्धक के रूप में कार्य करेंगे। शनिदेव पराक्रम में वृद्धि करने वाले होंगे। विश्व स्तर पर भारत की छवि में सकारात्मक वृद्धि करेंगे। पड़ोसी राष्ट्र के  पौरुष में कमी करते हुए भारतीय अखंडता एवं नेतृत्व क्षमता में वृद्धि करेंगे। शनिदेव मध्य वर्ग, पिछड़ी जातियों के लिए सकारात्मक वृद्धि करेंगे। पिछड़ी जाति की संख्या एवं महत्त्व में वृद्धि करेंगे। यद्यपि की सामान्य वर्ग विशेष कर ब्राह्मण वर्ग के वर्चस्व में भी वृद्धि ही करेंगे। फिर भी निम्न मध्य वर्ग , पिछड़ी जातियों के प्रभाव में वृद्धि करने वाले होंगे। भारत के अंतर्राष्ट्रीय वर्चस्व में वृद्धि करेंगे। विश्व के अन्य राष्ट्रों में युद्ध या युद्ध जैसी स्थिति 17 जनवरी 2023 तक उत्पन्न कर सकते है।
मेष लग्न :- मेष लग्न वालों के लिए शनिदेव दशम भाव में विद्यमान रहकर सम्मान में , सामाजिक पद प्रतिष्ठा में वृद्धि करने वाले होंगे। नौकरी में वृद्धि, कार्य क्षमता में वृद्धि, नेतृत्व क्षमता में वृद्धि करेंगे। आय के साधनों में भी सकारात्मक प्रगति प्रदान करेंगे। शनि की दृष्टि द्वादश भाव पर होगी फलतः बड़ी यात्रा के संयोग भी बनायेगे। अचानक कार्यो में सफलता के लिए खर्च की भी स्थिति उत्पन्न करेंगे। माता के स्वास्थ्य में कमी के कारण तनाव भी उत्पन्न कर सकते है। सीने की तकलीफ कफ, इंफेक्शन की समस्या तनाव का कारण बन सकता है। गृह एवं वाहन पर खर्च का वातावरण तैयार होगा। नए वाहन भी खरीद सकते है। पुराने वाहन के सुधार पर भी खर्च हो सकता है। दशम दृष्टि दाम्पत्य भाव पर होगी जिससे जीवन साथी के स्वास्थ्य को लेकर शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक तनाव उत्पन्न कर सकता है। प्रेम संबंधों में टकराव की स्थिति भी हो सकती है।
उपाय :-  शनिवार को गुण वाली मीठी पूड़ी सरसों तेल मे बनाकर गाय को खिलाना शुभफल प्रदान करेगा।

★वृष लग्न
 22 अक्टूबर 2022 से लेकर के 17 जनवरी 2023 के मध्य शनि देव वृष लग्न वालों के लिए भाग्य एवं राज्य के कारक होकर मकर राशि मे स्वगृही मार्गी होकर शुभ फल प्रदान करेंगे। भाग्य वर्धक कार्यो में सहायता प्रदान करेंगे। पिता से सहयोग ,सानिध्य ,वर्चस्व में वृद्धि करेंगे। पराक्रम ,सम्मान, यश कीर्ति में वृद्धि का भी संयोग बनेगा। भाई बंधुओं मित्रों के सहयोग सानिध्य में वृद्धि के साथ साथ तनाव की भी स्थिति बनेगी। राजनीति के क्षेत्र से जुड़े लोगों को लाभ होता दिख रहा है। सम्मान एवं सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए खर्च की भी स्थिति बनेगी। रोग, ऋण एवं शत्रु से मुक्ति प्रदान करेंगे। पुराने रोग का समन होगा। गुप्त एवं आन्तरिक शत्रु पर विजय प्राप्त होगा। प्रतियोगी परीक्षा कि तैयारी कर रहे लोगो के लिए प्रतियोगिता में सफलता के लिए भी शनि देव का मार्गी गोचर लाभदायक होगा
उपाय :-- मूल कुंडली के अनुसार शनि के पीड़ित होने की स्थिति में नीलम रत्न धारण करके लाभ एवं सकारात्मक फल में वृद्धि की जा सकता है।

मिथुन लग्न :-
मिथुन लग्न के लोगो के लिए शनिदेव अष्टम एवं भाग्य के कारक होकर अष्ठम भाव मे स्वगृही होकर मार्गी गोचर करते रहेंगे। ऐसे में वाणी में तीव्रता, गले एवं दाँत की समस्या, पारिवारिक तनाव में वृद्धि, पारिवारिक खर्च में वृद्धि की स्थिति उत्पन्न होगी। भाग्य वर्धक कार्यो में तनाव उत्पन्न हो सकता है। परिश्रम एवं कार्यो में अवरोध की भी स्थिति शनिदेव उत्पन्न कर सकते है। पैर एवं पेट की समस्या से कष्ट भी हो सकता है। पिता के स्वास्थ्य को लेकर तनाव, पिता के स्वास्थ्य पर खर्च की स्थिति भी इस वर्ष बनेगी। संतान के स्वास्थ्य एवं प्रगति को लेकर भी मन मे चिंता उत्पन्न होगी। अध्ययन अध्यापन के क्षेत्र से जुड़े लोगों के मन मे विचलन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
उपाय :-शनि देव की पूजा आराधना लाभदायक होगा।

कर्क लग्न :- कर्क लग्न के लिए शनि सप्तम एवं अष्टम के कारक ग्रह होकर सप्तम भाव मे स्वगृही होकर मार्गी गति से गोचर करेंगे। ऐसे में व्यापारिक साझेदारी में वृद्धि, नयी योजनाओं का क्रियान्वयन हो सकता है। यद्यपि की मानसिक चिंता में वृद्धि भी हो सकती है परंतु आर्थिक गतिविधियों के लिए समय अनुकूल बना रहेगा। भाग्य में अवरोध या कार्यो में व्यवधान उत्पन्न कर सकते है । शनि की दृष्टि प्रभाव से पिता को कष्ट भी हो सकता है। दाम्पत्य जीवन एवं प्रेम संबंधों के लिए समय अनुकूल बना रहेगा। नए सम्बन्धो का जन्म भी हो सकता है। माता के स्वास्थ्य को लेकर भी मानसिक चिंता में वृद्धि हो सकती है। गृह एवं वाहन के सुख पर खर्च होगा। नए वाहन ,जमीन जायदाद की खरीदारी भी इस वर्ष होने की पूर्ण संभावना है।
उपाय :- काला तिल एवं गुण मिलाकर गोधुल समय पीपल के वृक्ष के नीचे चींटीयो को खिलाते रहें।

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