Hindi Newsधर्म न्यूज़horoscope Do you know what happen in zodiac signs when Shani Rahu Guru and Ketu are retrograde

क्या आप जानते हैं शनि, राहु, गुरु और  केतू जब वक्री होते हैं, तो राशियों के जीवन में क्या होता है?

वक्री का अर्थ है— उल्टा चलना। ग्रह वक्री अवस्था में उल्टे चलते प्रतीत होते हैं, जबकि वास्तव में ऐसा होता नहीं है। ग्रह चलते तो सीधे हैं, लेकिन सूर्य से एक विशेष दूरी पर आने पर वह विपरीत दिशा में चलते

Anuradha Pandey भानुप्रताप नारायण, नई दिल्लीTue, 22 Nov 2022 12:56 PM
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वक्री का अर्थ है— उल्टा चलना। ग्रह वक्री अवस्था में उल्टे चलते प्रतीत होते हैं, जबकि वास्तव में ऐसा होता नहीं है। ग्रह चलते तो सीधे हैं, लेकिन सूर्य से एक विशेष दूरी पर आने पर वह विपरीत दिशा में चलते दिखाई देते हैं। जब कोई ग्रह अपनी कक्षा में सूर्य से अधिकतम दूरी पर होता है, तब वह ग्रह वक्री हो जाता है। उस समय वह ग्रह प्रथ्वी के सबसे निकट होता है। सूर्य व चंद्रमा सदैव मार्गी रहते हैं और राहु/केतु सदैव वक्री रहते हैं।

मंगल मंगल का वक्री होना व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, यौन सुख पर सबसे अधिक असर डालता है। वक्री मंगल के प्रभाव से व्यक्ति झूठे मुकदमों, पारिवारिक कलह में उलझ जाता है। महिलाओं की जन्म कुंडली में वक्री मंगल आमतौर पर उन्हें पुरुषों के गुण प्रदान करता है।

बुध वक्री बुध अकसर गलत निर्णय करवा बैठता है। इसलिए जो काम जैसा चल रहा होता है, उसे चलने देना चाहिए। वक्री बुध के समय में कोई नया कार्य प्रारंभ न करें। वक्री बुध होने से परिवार, समाज, कार्यस्थल पर अपमान का सामना करना पड़ता है। बृहस्पति बृहस्पति का वक्री होना शुभ माना गया है। बृहस्पति जिस भाव में वक्री होता है, उस भाव के फलादेश में अनुकूल परिवर्तन आते हैं। इस दौरान व्यक्ति अपने परिवार, देश, संतान, जिम्मेदारियों और धर्म के प्रति अधिक संवेदनशील और चिंतित होकर शुभ कार्यों में प्रवृत्त हो जाता है।

शुक्र शुभ-अशुभ दोनों फल देता है। जब जन्म कुंडली में शुक्र वक्री अवस्था में होता है तो वह धार्मिक स्वभाव का बन जाता है और धर्म पर विश्वास करने लगता है। इससे उसकी लोकप्रियता बढ़ती है, मगर जब शुक्र गोचरवश वक्री होता है तो अशुभ फल प्राप्त होते हैं।

शनि ऐसे व्यक्ति युवावस्था में स्वभाव से शक्की और स्वार्थी हो जाते हैं। ऐसे व्यक्तियों में दिखावे की प्रवृत्ति अधिक पाई जाती है। बाहर से ऐसे व्यक्ति सिद्धांतवादी होने का दिखावा करते हैं, लेकिन अंदर से सिद्धांतहीन होते हैं।

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