Holika dahan Kab hai: काशी व मिथिला पंचांग के अनुसार होलिका दहन अलग-अलग दिन
रंगोत्सव आठ मार्च को है। हालांकि होलिका दहन को लेकर पंचांगों का अलग-अलग मत है। संकट मोचन दरबार के पंडित चंद्रशेखर झा ने बताया कि काशी व मिथिला पंचांग के अनुसार होलिका दहन अलग-अलग दिन है। काशी पंचांग म
रंगोत्सव आठ मार्च को है। हालांकि होलिका दहन को लेकर पंचांगों का अलग-अलग मत है। संकट मोचन दरबार के पंडित चंद्रशेखर झा ने बताया कि काशी व मिथिला पंचांग के अनुसार होलिका दहन अलग-अलग दिन है। काशी पंचांग में छह मार्च की रात 12:23 मिनट से 1:35 तक ही है। जबकि मिथिला के अनुसार सात मार्च को देर शाम 7:24 मिनट तक ही होलिका दहन है। हालांकि रंगोत्सव आठ मार्च को मनाया जायेगा।
वहीं जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरव कुमार मिश्रा ने बताया पूर्णिमा तिथि छह मार्च को शाम 4: 10 मिनट पर शुरू होगी और 7 मार्च शाम 05:52 मिनट तक रहेगी। लेकिन होलिका दहन सात मार्च को होगा। होलिका दहन के लिए शुभ समय शाम 6:24 मिनट से रात 7: 24 मिनट तक है।
भद्रा में होलिका दहन नहीं होना चाहिए
उन्होंने बताया कि छह मार्च को भद्रा लग रहा है। यह संध्या के 4:49 से शुरू होगा और रात्रि 1:35 तक रहेगा। होलिका दहन सदैव उस समय करना चाहिए जब भद्रा लगा नहीं हो। ऐसी मान्यता है कि भद्रा में होलिका दहन करने से अशुभ परिणाम आते हैं। देश में विद्रोह, अराजकता आदि का माहौल पैदा होता है। इसी प्रकार चतुर्दशी, प्रतिपदा अथवा दिन में भी होलिका दहन करने का विधान नहीं है।
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