Hindi Newsधर्म न्यूज़Holika Dahan 2023 Timing: 7 March 2023 is only 2 hours 27 minutes auspicious time for Holika Dahan know timing

Holika Dahan 2023 Timing: आज होलिका दहन का केवल 2 घंटे 27 मिनट ही है शुभ मुहूर्त, जानें लें टाइमिंग

Holika Dahan 2023 Timing in India: होलिका दहन को लेकर इस साल लोगों के बीच कंफ्यूजन है। आप भी जानें इस साल होलिका दहन कब किया जाएगा और इसका शुभ मुहूर्त क्या है-

Saumya Tiwari लाइव हिन्दु्स्तान टीम, नई दिल्लीTue, 7 March 2023 08:40 PM
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Holika Dahan 2023 Timing in India: होली का त्योहार पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। होली से पूर्व रात को होलिका दहन की परंपरा है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास के पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के लिए भद्रा का विचार किया जाता है। भद्राकाल में होलिका दहन करना अति अशुभ माना गया है। जानें इस साल होलिका दहन का क्या है शुभ मुहूर्त-

फाल्गुन पूर्णिमा 2023 तिथि-

पूर्णिमा तिथि 06 मार्च 2023 को सुबह शाम 06 बजकर 17 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है, जो कि 07 मार्च को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी।

होलिका दहन 2023 का शुभ समय-

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 07 मार्च को शाम 06 बजकर 24 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट है। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त की अवधि 02 घंटे 27 मिनट है।

भद्रा पूंछ में कर सकते हैं होलिका दहन-

अगर भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के बाद जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिये। अगर भद्रा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूंछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। लेकिन भद्रा मुख में होलिका दहन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इस साल 07 मार्च को भद्रा पूंछ - 12:43 ए एम से 02:01 ए एम तक रहेगी। भद्रा मुख - 02:01 ए एम से 04:11 ए एम तक रहेगी।

होलिका दहन की पौराणिक कथा-

हिंदू पुराणों के अनुसार, जब हिरण्यकश्यप (राक्षसों के राजा) ने देखा कि उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु की पूजा करता है, तो वह वास्तव में क्रोधित हो गया। उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने का आदेश दिया। ऐसा इसलिए है क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे आग में नहीं जलाया जा सकता। हालांकि योजना के अनुसार चीजें नहीं हुईं। होलिका आग में जलकर राख हो गई और विष्णु भक्त प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ। इसी घटना की स्मृति में होलिका दहन (होलिका मानकर होलिका दहन) करने का विधान है। होली का त्योहार यह संदेश देता है कि इसी तरह भगवान अपने भक्तों की रक्षा सदैव करते हैं।

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