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Holi Bhai Dooj : होली भाई दूज आज, नोट कर लें तिलक का शुभ मुहूर्त, महत्व और कथा

भाई दूज का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। यह भाई-बहन के बीच स्नेह के बंधन को मजबूत करता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 9 March 2023 05:24 AM
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भाई दूज का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। यह भाई-बहन के बीच स्नेह के बंधन को मजबूत करता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। भाई दूज को भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।  कुछ क्षेत्रों में होली भाई दूज काफी लोकप्रिय है, लेकिन यह त्योहार ज्यादा प्रसिद्ध नहीं है। इस साल होली भाई दूज 9 मार्च 2023 को है।

इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर और उपहार देकर उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं, बदले में भाई अपनी बहन कि रक्षा का वचन देता है। रक्षा बंधन पर बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं जबकि भाई दूज पर सिर्फ तिलक लगाने की परंपरा प्रचलित है।

होली भाई दूज शुभ मुहूर्त-

द्वितीया तिथि प्रारम्भ - मार्च 08, 2023 को 07:42 पी एम बजे

द्वितीया तिथि समाप्त - मार्च 09, 2023 को 08:54 पी एम बजे

होली दूज का महत्व-

जिस तरह से दिवाली के बाद भाई दूज मनाकर भाई की लंबी उम्र के लिए कामना की जाती है और उसे नर्क की यातनाओं से मुक्ति दिलाने के लिए उसका तिलक किया जाता है। उसी प्रकार होली के बाद भाई का तिलक करके होली की भाई दूज मनाई जाती है। जिससे उसे सभी प्रकार के संकटों से बचाया जा सके। शास्त्रों के अनुसार होली के अगले दिन भाई को तिलक करने से उसे सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। 

होली भाई दूज की कथा (Holi Bhai Dooj Story)

पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में एक बुढ़िया रहा करती थी। उसके एक पुत्र और एक पुत्री थी। बुढ़िया ने अपनी पुत्री की शादी कर दी थी। एक बार होली के बाद भाई ने अपनी मां से अपनी बहन के यहां जाकर तिलक कराने का आग्रह किया तो बुढ़िया ने अपने बेटे को जाने की इजाजत दे दी। बुढ़िया का बेटा एक जंगल से गया जहां उसे एक नदी मिली उस नदी ने बोला में तेरा काल हूं और मैं तेरी जान लूंगी। इस पर बुढ़िया का बेटा बोला पहले मैं अपनी बहन से तिलक करा लूं फिर मेरे प्राण हर लेना।

इसके बाद वह आगे बढ़ा जहां उसे एक शेर मिला बुढ़िया के बेटे ने शेर से भी यही कहा। इसके बाद उसे एक सांप मिलता है उसने सांप से भी यही कहा। जिसके बाद वह अपनी बहन के घर पहुंचता है। उस समय उसकी बहन सूत काट रही होती है और जब वह उसे उसका भाई पुकारता है तो वह उसकी आवाज को अनसुना कर देती है।लेकिन जब भाई दुबारा आवाज लगाता है तो उसकी बहन बाहर आ जाती है। इसके बाद उसका भाई तिलक कराकर चल दुखी मन से चल देता है। इस पर बहन उसके दुख का कारण पूछती और भाई उसे सब बता देता है।

उस बुढ़िया की लड़की कहती है कि रूको भाई मैं पानी पीकर आती हूं और वह एक तालाब के पास जाती है जहां उसे एक बुढ़िया मिलती है और वह उस बुढ़िया से अपनी इस समस्या का समाधान पूछती है। इस पर बुढ़िया कहती है यह तेरे ही पिछले जन्मों का कर्म है जो तेरे भाई को भुगतना पड़ रहा है। अगर तू अपने भाई को बचाना चाहती है तो उसकी शादी होने तक वह हर विपदा को टाल दे तो तेरा भाई बच सकता है।

इसके बाद वह अपने भाई के पास जाती है और कहती है कि मैं तुझे घर छोड़ने के लिए चलूंगी और वह शेर के लिए मांस, सांप के लिए दूध और नदी के लिए ओढ़नी लाती है। इसके बाद दोनों आगे बढ़ते हैं रास्ते में उन्हें पहले शेर मिलता है। उसकी बहन शेर के आगे मांस डाल देती है। उसके बाद आगे उन्हें सांप मिलता है। जिसके बाद उस बुढ़िया की लड़की उसे दूध दे देती है और अंत में उन्हें नदी मिलती है। जिस पर वह ओढ़नी डाल देती है। इस तरह से वह बहन अपने भाई को बचा लेती है। 

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