Hindi Newsधर्म न्यूज़Hartalika Teej: Pradosh Kaal Muhurat of one hour 40 minutes evening ma Parvati aarti Teej Vrat katha in hindi

Hartalika Teej vrat katha aarti: पढ़ें हरतालिका तीज व्रत कथा, Teej पर प्रदोष काल 05 बजे से मुहूर्त शुरू Live, कथा बिना अधूरा है तीज व्रत

Parvati aarti Teej Vrat katha in hindi:शास्त्रगत रूप से बात किया जाए तो हरतालिका तीज व्रत करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। साथ ही कुँवारी लड़कियों द्वारा इस व्रत को करने से सुयोग्य

Anuradha Pandey डॉ दिवाकर त्रिपाठी, नई दिल्लीMon, 18 Sep 2023 08:30 PM
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हिंदू धर्म ग्रंथो में हरतालिका व्रत तीज का विशेष महत्व बताया गया है। भविष्योत्तर पुराण के अनुसार भाद्रपद मास का अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत हरितालिका तीज हैं। सनातन धर्म में भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह पवित्र हरतालिका तीज व्रत रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि महिलाएं इस व्रत को अखंड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखती हैं। इस व्रत को सभी व्रतों में कठिनतम व्रत माना जाता है क्योंकि इस व्रत को महिलाएं निर्जला रहकर करती है। कुंवारी कन्याएं हरतालिका तीज व्रत को सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं। हरतालिका तीज व्रत के लिए मायके से महिलाओं के श्रृंगार का समान, मिठाई, फल और कपड़े भेजे जाते हैं। 

Hartalika teej Best Puja muhurat: हरतालिका तीज व्रत तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि-भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 17 सितंबर, दिन रविवार को दिन में 9 बजकर 43 मिनट पर होगा जो 18 सितंबर को दिन में 10 बजकर 27 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। अतः उदय कालिक तृतीया तिथि 18 सितंबर दिन सोमवार को रखा जाएगा। हरतालिका तीज की पूजा के दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। पहला शुभ मुहूर्त सुबह के समय और दूसरा प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद बन रहा है। सुबह का मुहूर्त- सुबह 06 बजें से सुबह 07 बजकर 30 मिनट तक  एवं सुबह 9 बजे से 10:25 बजे तक। हरतालिका तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त है। पूजा एवं व्रत के संकल्प के लिए यह शुभ मुहूर्त है। प्रदोष काल पूजा मुहूर्त- शाम को 05 बजकर 50 मिनट से रात 07 बजकर 30 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। इस मुहूर्त में भगवान शिव ,माता पार्वती, गणेश भगवान एवं माता लक्ष्मी सहित विष्णु भगवान की पूजा उपासना विशेष रूप से लाभदायक होगा।

Hartalika Teej Vrat katha in hindi -यहां पढ़ें हरतालिका तीज की कथा
कथा के अऩुसार माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए कठोर तपस्या की। दरअसल मां पार्वती का बचपन से ही माता पार्वती का भगवान शिव को लेकर अटूट प्रेम था। माता पार्वती अपने कई जन्मों से भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने हिमालय पर्वत के गंगा तट पर बचपन से ही कठोर तपस्या शुरू की। माता पार्वती ने इस तप में अन्न और जल का त्याग कर दिया था। खाने में वे मात्र सूखे पत्ते चबाया करती थीं। माता पार्वती की ऐसी हालत को देखकर उनके माता-पिता बहुत दुखी हो गए थे। एक दिन देवऋषि नारद भगवान विष्णु की तरफ से पार्वती जी के विवाह के लिए प्रस्ताव लेकर उनके पिता के पास गए। माता पार्वती के माता और पिता को उनके इस प्रस्ताव से बहुत खुशी हुई। इसके बाद उन्होंने इस प्रस्ताव के बारे में मां पार्वती को सुनाया। माता पार्वती इश समाचार को पाकर बहुत दुखी हुईं, क्योंकि वो अपने मन में भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थीं। माता पार्वती ने अपनी सखी को अपनी समस्या बताई। माता पार्वती ने यह शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया।

पार्वती जी ने अपनी एक सखी से कहा कि वह सिर्फ भोलेनाथ को ही पति के रूप में स्वीकार करेंगी। सखी की सलाह पर पार्वती जी ने घने वन में एक गुफा में भगवान शिव की अराधना की। भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र में पार्वती जी ने मिट्टी से शिवलिंग बनकर विधिवत पूजा की और रातभर जागरण किया। पार्वती जी के तप से खुश होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था। 

कहा जाता है कि जिस कठोर कपस्या से माता पार्वती ने भगवान शिव को पाया, उसी तरह इस व्रत को करने वाली सभी महिलाओं के सुहाग की उम्र लंबी हो और उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल रहे। माना जाता है की जो इस व्रत को पूरे विधि-विधान और श्रद्धापूर्वक व्रत करती है, उन्हें इच्छानुसार वर की प्राप्ति होती है। 

Hartalika Teej puja Correct method
1. हरितालिका तीज में श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
★इस लिए व्रत करने वाली स्त्रियों को चाहिए कि ब्रह्म मुहूर्त्त में जगकर नित्य कर्मो से निवृत होकर तिल एवं आँवले के चूर्ण के साथ स्नान करें। नवीन वस्त्र या साफ सुथरा वस्त्र धारण करने के बाद
★ पवित्र स्थान पर आटे से चौक पूरकर केले का मंडप बनाकर गणेश, शिव-पार्वती की पार्थिव प्रतिमा बनाकर पूर्व की ओर मुँह करके सर्व प्रथम संकल्प लें। जो मन मे अच्छा हो। फिर उपलब्ध सामग्री के साथ पूजन करें।

2. सबसे पहले मिट्टी से तीनों की प्रतिमा बनाएं और भगवान गणेश को तिलक करके दूर्वा अर्पित करें।

3. इसके बाद भगवान शिव को फूल, बेलपत्र और शमिपत्री अर्पित करें और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें।

4. तीनों देवताओं को वस्त्र अर्पित करने के बाद हरितालिका तीज व्रत कथा सुनें या पढ़ें।

5. इसके बाद श्रीगणेश की आरती करें और भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारने के बाद भोग लगाएं।

Parvati mata arti:माता पार्वती की आरती
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता,
ब्रह्मा सनातन देवी, शुभ फल की दाता 
जय पार्वती माता

अरिकुल कंटक नासनि, निज सेवक त्राता,
जगजननी जगदम्बा, हरिहर गुण गाता !!
जय पार्वती माता


सिंह को वहान साजे, कुंडल है साथा,
देव वधू जस गावत, नृत्य करत ता था 
जय पार्वती माता

सतयुग रूप शील अतिसुंदर, नाम सती कहलाता,
हेमाचंल घर जन्मी, सखियाँ संगराता 
जय पार्वती माता

शुम्भ निशुम्भ विदारे, हेमाचंल स्थाता,
सहस्त्र भुजा तनु धरिके, चक्र लियो हाथा 
जय पार्वती माता


सृष्टि रूप तुही है जननी, शिव संग रंगराता,
नन्दी भृंगी बीन लही, सारा जग मदमाता 
जय पार्वती माता

देवन अरज करत हम, चरण ध्यान लाता,
तेरी कृपा रहे तो, मन नहीं भरमाता 
जय पार्वती माता

मैया जी की आरती, भक्ति भाव से जो नर गाता,
नित्य सुखी रह करके, सुख संपत्ति पाता

जय पार्वती माता

जय पार्वती माता, जय पार्वती माता,
ब्रह्मा सनातन देवी, शुभ फल की दाता !!
जय पार्वती माता

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