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Happy janmashtami : जन्माष्टमी पर करें श्री कृष्ण की आरती, यहां पढ़ें पूरी आरती

किसी भी पूजा में आरती एक महत्वपूर्ण भाग होता है। कहते हैं कि इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। पूजा के आखिर में भगवान से पूजा में हुई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थना और आरती की जाती है।...

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीWed, 12 Aug 2020 10:09 AM
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किसी भी पूजा में आरती एक महत्वपूर्ण भाग होता है। कहते हैं कि इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। पूजा के आखिर में भगवान से पूजा में हुई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थना और आरती की जाती है। इसी के बाद पूजा का पूरा फल मिलता है। जन्माष्टमी के पावन पर्व पर यहां पढ़ें भगवान कृष्ण की आरती: 

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

 

 

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