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Happy Dussehra 2022: दशहरे के दिन इन 10 बुराइयों का दहन करें, शास्त्रत्त् और शोध यही कहते हैं

दशहरा का पावन पर्व 5 अक्टूबर को देशभर में मनाया जा रहा है। स्वस्थ समाज के लिए दशहरे के दिन इन बुराइयों का दहन करें, शास्त्रत्त् और शोध यही कहते हैं।

Saumya Tiwari संवाददाता, नई दिल्लीWed, 5 Oct 2022 05:51 AM
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आज पूरा देश विजयदशमी का त्योहार मना रहा है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाया जाता है। लेकिन बुराई सिर्फ बाहरी दुनिया तक ही सीमित नहीं है, हमें उन बुराइयों को भी दूर करने की जरूरत है जो हमारे अंदर हैं।

1. द्वेष

गीता के पांचवें अध्याय में लिखा है निर्द्वन्द्वो हि महाबाहो सुखं बँधातप्रमुच्यते। अर्थात राग, द्वेष इत्यादि द्वन्दों से रहित व्यक्ति सुखी रहते हुए संसार बंधन से मुक्त हो जाता है। जब हम किसी से द्वेष रखते हैं तो हमारा मन अपवित्र होना शुरू हो जाता है।

2. बुरे वचन मनुस्मृति के अनुसार पारुष्यमनृतं चैव पैशुन्यं चापि सर्वश। असम्बद्ध प्रलापश्च वायं स्याच्चतुर्विधम् । अर्थात् कठोर तथा कटु वचन बोलकर किसी को कष्ट पहुंचाना, झूठ बोलना, चुगली करना तथा दोषारोपण करना ये सभी अधर्म है।

3.  लोभ और क्रोध- रामचरितमानस में लिखा है -तात तीनि अति प्रबल खल काम क्रोध अरू लोभ। अर्थात-काम, क्रोध और लोभ बड़े बलवान हैं। ये मुनि के मन में भी क्षोभ उत्पन्न कर देते हैं।

4. छल-कपट

महनिर्माण तंत्र में लिखा है कि जो गृहस्थ धन कमाने के लिए पुरुषार्थ नहीं करता वह अधर्मी है। जो अच्छे तरीके से धन कमाता है और उसे नेक कामों में खर्च करता है, वह वही काम कर रहा है जो एक साधु।

5. बैर पालना

बाल्मिकी रामायण के अनुसार, न च अतिप्रणय कार्य कर्तव्यो अप्रणय च ते। उभयम् हि महादोषम् तस्मात् अंतर दृक् भव। अर्थात- किसी से अधिक प्रेम या बैर न करना, क्योंकि दोनों ही अनिष्टकारक होते हैं।

6. धार्मिक कट्टरता

अमेरिका की नेटवर्क कॉन्टेजियन रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट बताती है कि पिछले 3 साल में दुनियाभर में एक वर्ग के खिलाफ हिंसा और नफरत के मामलों में 10 गुना वृद्धि हुई है। सोशल मीडिया से धार्मिक कट्टरता फैलाई जा रही है।

7. दुर्व्यवहार

हेल्पएज इंडिया की रिपोर्ट है कि राष्ट्रीय स्तर पर 47 फीसदी बुजुर्ग दुर्व्यवहार के शिकार हैं। इसी तरह से धर्म, जाति के नाम पर दुर्व्यवहार होता है। इस सामाजिक बुराई को खत्म करने की जरूरत है।

8. अहंकार

गीता के सोलहवें अध्याय में लिखा है कि अहंकार, बल और कामना के अधीन होकर प्राणी परमात्मा से ही द्वेष करने लगता है क्योंकि अहंकार उसे जीत लेता है। अहंकारी पुरुष यह भूल जाता है कि परमात्मा स्वयं उसमें ही बसा है।

9. अति महत्वकांक्षा

गीता के तीसरे अध्याय के अनुसार धूमेनाव्रियते वह्निर्यथादर्शो मलेन च। यथोल्बेनावृतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतम्। अर्थात- जिस प्रकार धुएं से अग्नि और धूल से दर्पण ढक जाता है उसी प्रकार कामनाओं से ज्ञान ढंका रहता है।

10. महिलाओं पर अत्याचार- मनुस्मृति के तीसरे अध्याय के श्लोक 56 के अनुसार, यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता। अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवताओं का वास होता है, मगर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, देश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 15.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

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