Hanuman Janmotsav : 22 या 23 अप्रैल, कब है हनुमान जन्मोत्सव, नोट कर लें सही डेट, पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त, आरती और कथा
Hanuman Janmotsav 2024 : हिंदू धर्म में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। हनुमान जी इस कलयुग में जागृत देव हैं। हनुमान जी भगवान श्री राम के परम भक्त हैं।
Hanuman Janmotsav : हिंदू धर्म में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। हनुमान जी इस कलयुग में जागृत देव हैं। हनुमान जी भगवान श्री राम के परम भक्त हैं। हर वर्ष चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसी पावन दिन त्रैता युग में हनुमान जी ने माता अंजनी की कोख से जन्म लिया था। हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति को सभी तरह की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। हनुमान जी व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था।
कब है हनुमान जन्मोत्सव- साल 2024 में हनुमान जन्मोत्सव 23 अप्रैल, मंगलवार को है।
मुहूर्त-
- पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 23, 2024 को 03:25 ए एम बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त - अप्रैल 24, 2024 को 05:18 ए एम बजे
हनुमान जी पूजा-विधि:
- सबसे पहले मंदिर में घी की ज्योत प्रज्वलित करें।
- हनुमान जी का गंगा जल से अभिषेक करें।
- अभिषेक करने के बाद एक साफ वस्त्र से हनुमान जी की प्रतिमा को पोछें।
- सिंदूर और घी या चमेली के तेल को मिला लें।
- अब हनुमान जी को चोला चढ़ाएं।
- सबसे पहले हनुमान जी के बाएं पांव में चोला चढ़ाएं।
- हनुमान जी को चोला चढ़ाने के बाद चांदी या सोने का वर्क भी चढ़ा दें।
- हनुमान जी को जनेऊ पहनाएं।
- जनेऊ पहनाने के बाद हनुमान जी को साफ वस्त्र पहनाएं।
- चोला चढ़ाने के बाद हनुमान जी को भोग लगाएं।
- हनुमान जी की आरती भी अवश्य करें।
- हनुमान चालीसा का एक से अधिक बार पाठ करें।
पूजन सामग्री की लिस्ट-
- सिंदूर
- घी या चमेली का तेल
- चांदी या सोने का वर्क
- वस्त्र
- जनेऊ
हनुमान जन्मोत्सव के दिन बन रहा अद्भुत संयोग: हनुमान जन्मोत्सव पर साल 2024 में सालों बाद अद्भुत संयोग बन रहा है। शास्त्रों के अनुसार, मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित माना गया है और साल 2024 में हनुमान जन्मोत्सव के दिन भी मंगलवार पड़ रहा है। मंगलवार के दिन हनुमान जन्मोत्सव होने के कारण इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है।
हनुमान जन्मोत्सव से जुड़ी पौराणिक कथा- पौराणिक कथाओं के अनुसार, अंजना एक अप्सरा थीं। जिनका श्राप के कारण पृथ्वी पर जन्म हुआ था और यह श्राप उनपर तभी हट सकता था जब वे एक संतान को जन्म देतीं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार महाराज केसरी बजरंगबली जी के पिता थे। वे सुमेरू के राजा थे और केसरी बृहस्पति के पुत्र थे। अंजना ने संतान प्राप्ति के लिए 12 वर्षों की भगवान शिव की घोर तपस्या की और परिणाम स्वरूप उन्होंने संतान के रूप में हनुमानजी को प्राप्त किया। ऐसा विश्वास है कि हनुमानजी भगवान शिव के ही अवतार हैं।
हनुमान जी की आरती-
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अनजानी पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जम कारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की
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