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Ganesh chaturthi Puja Vidhi : गणेश चतुर्थी पर कैसे करें गणेश जी की पूजा

Ganesh chaturthi sthir lagna sthapana muhurat: उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक सर्वथा पूज्य एवं प्रचलित पर्व वैनायकी सिद्धि विनायक वरद श्री गणेश चतुर्थी व्रत अर्थात गणेशोत्सव का प्रसिद्ध पर्व बड़े

Anuradha Pandey डॉ पं दिवाकर त्रिपाठी, नई दिल्लीTue, 19 Sep 2023 07:33 AM
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Ganeshji ki aarti in hindi:  उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक सर्वथा पूज्य एवं प्रचलित पर्व वैनायकी सिद्धि विनायक वरद श्री गणेश चतुर्थी व्रत अर्थात गणेशोत्सव का प्रसिद्ध पर्व बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा भाव के साथ हर साल मनाया जाता है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को श्री गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन से गणेशोत्सव की शुरुआत होती है। इस वर्ष 19 सितम्बर 2023 दिन मंगलवार को गणेश चतुर्थी से आरम्भ होकर 28 सिंतबर 2023 दिन गुरुवार तक बड़े ही धूम धाम से मनाया जाएगा और अनन्त चतुर्दशी के दिन श्री गणपति विसर्जन के साथ समाप्त होगी | माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी का प्राकट्य हुआ था। मानते हैं कि इस दिन भगवान गणेश धरती पर आकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

Ganesh chaturthi 2023 Abhijeet muhurat: चतुर्थी को गणेश जी की स्थापना करने से ग्रहों की बाधाओं से मुक्ति प्राप्त किया जा सकता है तथा वास्तु दोष से मुक्ति पाई जा सकती है क्योंकि भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है तथा प्रथम पूज्य होने के कारण इनकी पूजा अनुष्ठान आराधना करने से सभी प्रकार की अरिष्टों का समन हो जाता है। गणपति स्थापना के लिए मध्यांह व्यापिनी चतुर्थी में स्थिर लग्न मुहूर्त्त में किया जाना श्रेयष्कर होगा। शुभ योग और अभिजित मुहूर्त में गणेशजी की स्थापना से कई लाभ होंगे। सुबह 11.48 से 12.36 तक सर्वश्रेष्ठ अभिजीत मुहूर्त है। 

Ganesh chaturthi 2023 Puja correct method: कैसे करें गणेश जी की पूजा :- 
वैनायिकी व्रत श्री गणेश चतुर्थी व्रत के लिए मध्यान्ह व्यापिनी चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है। गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना दोपहर के समय करें। कलश भी स्थापित करें। दिनभर जलीय आहार ग्रहण करें या केवल फलाहार करें।
सायंकाल गणेश जी की यथाशक्ति पूजा करें
घी का दीपक जलाएं। 11, 21 या 108 लड्डूओं का भोग लगाएं, दूब ,पान का पत्ता भी अर्पित करें।
श्री गणेश जी के मंत्रों का जाप करें।
चंद्रमा को नीची दृष्टि से अर्घ्य दें।
प्रसाद का वितरण करें और अन्न-वस्त्र का दान करें।
गणपति पूजन का शुभ मुहूर्त।
300 साल बाद गणेश चतुर्थी पर अद्भुत संयोग
दोपहर के समय करें । गणेश प्रतिमा की स्थापना
फल, फूल, मोदक से करें । भगवान गणेश की पूजा
सुविधा और श्रद्धा के अनुसार करें । 

Ganesh chaturthi 2023 Dos and Donts on -क्या सावधानिया बरतें-
चतुर्थी के दिन या पूजा के समय पीले या सफेद वस्त्र धारण करें। काले वस्त्र ना पहनें। 
घर में गणेश जी की बहुत बड़ी प्रतिमा स्थापित ना करें।
अगर स्वयं नदी की मिट्टी से प्रतिमा बनाएं तो उत्तम होगा।
बिना चंद्रमा को अर्घ्य दिए व्रत का समापन ना करें।
गणेश जी को कभी भी तुलसी दल ना चढ़ाएं।
क्रोध ना करें, वाणी पर काबू रखें और सात्विकता बनाए रखें। मांसाहार लहसुन प्याज का प्रयोग बिल्कुल भी ना करें।

Ganesh Ji Ki 2 Aarti in hindi- यहां पढ़ें जय गणेश-जय गणेश और जयदेव, जयदेव मंगलमूर्ति आरती

 गणेश जी की आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी। 
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया। 
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।। 
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा .. 
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा। 

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। 
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

Ganesh Ji Ki Aarti

पढ़ें भगवान श्रीगणेश की आरती-

सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची

नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची

सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची

कंठी झलके माल मुक्ता फलांची।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति

दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती। जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा

चंदनाची उटी कुमकुम केशरा

हीरे जड़ित मुकुट शोभतो बरा

रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति

दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती। जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

लम्बोदर पीताम्बर फणिवर बंधना

सरल सोंड वक्र तुंड त्रिनयना

दास रामाचा वाट पाहे सदना

संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुर वर वंदना।

जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव

जयदेव जयदेव जय मंगलमूर्ति

दर्शन मात्रे मन कामना पूर्ती। जयदेव जयदेव जयदेव जयदेव ।।

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