Ganesh Chaturthi 2022: भगवान गणेश को क्यों कहते हैं गजानन या एकदंत, यहां पढ़ें शास्त्रों में वर्णित रोचक कथा
विघ्नों को हरने वाले गणपति को शिव और पार्वती जी का पुत्र माना जाता है, पर वे वेदों में उल्लिखित अनादि-अनंत देवता हैं। वेदों में उनकी वंदना ‘नमो गणेभ्यो गणपति’ के उच्चारण से की गई है।
Lord Ganesha Name Story: गणेश चतुर्थी की धूम देशभर में नजर आती है। गणेश जी को समर्पित यह त्योहार आज 31 अगस्त, बुधवार को मनाया जा रहा है। भगवान गणेश को गजानन, बप्पा, विघ्नहर्ता या एकदंत भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर श्रीगणेश एकदंत क्यों कहलाए। जानिए इस रोचक कथा के बारे में।
भगवान श्रीगणेश कैसे कहलाएं गजानन-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार नंदी से माता पार्वती की किसी आज्ञा के पालन में ऋुटि हो गई। जिसके बाद माता से सोचा कि कुछ ऐसा बनाना चाहिए, जो केवल उनकी आज्ञा का पालन करें। ऐसे में उन्होंने अपने उबटन से एक बालक की आकृति बनाकर उसमें प्राण डाल दिए। कहते हैं कि जब माता पार्वती स्नान कर रही थीं तो उन्होंने बालक को बाहर पहरा देने के लिए कहा। माता पार्वती ने बालक को आदेश दिया था कि उनकी इजाजत के बिना किसी को अंदर नहीं आने दिया जाए।
कहते हैं कि भगवान शिव के गण आए तो बालक ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इसके बाद स्वयं भगवान शिव आए तो बालक ने उन्हें भी अंदर नहीं जाने दिया। इस बात से भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया। माता पार्वती जब बाहर आईं तो वह यह सब देखकर क्रोधित हुईं। उन्होंने उनके बालक को जीवित करने के लिए कहा। तब भगवान शिव ने एक हाथी का सिर बालक के धड़ से जोड़ दिया।
परशुराम ने तोड़ दिया था गणेशजी का एक दांत-
भगवान शंकर और माता पार्वती अपने कक्ष में विश्राम कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी को भी न आने दें। तभी भगवान शिव से मिलने के लिए परशुराम जी आए। लेकिन गणेश जी से भगवान शिव से मिलने से इनकार कर दिया। इस पर परशुराम जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने अपने फरसे से गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया। तभी से भगवान गणेश एकदंत कहलाए।
यह आलेख धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।
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