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Ekadashi 2019: मोक्ष प्रदान करती है पौष कृष्ण पक्ष की यह एकादशी

वर्ष 2019 की शुरुआत पवित्र सफला एकादशी के व्रत से हो रही है। 1 जनवरी को ही एकादशी है। पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत यह बताता है कि इसके माध्यम से नारायण को प्राप्त कर सकते हैं। मोक्ष...

भानुप्रतापनारायण मिश्र नई दिल्लीTue, 1 Jan 2019 12:32 PM
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वर्ष 2019 की शुरुआत पवित्र सफला एकादशी के व्रत से हो रही है। 1 जनवरी को ही एकादशी है। पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत यह बताता है कि इसके माध्यम से नारायण को प्राप्त कर सकते हैं। मोक्ष मिल सकता है यह व्रत करके। रात्रि जागरण करने से सफला एकादशी का पूर्ण फल मिलता है। यही नहीं, परिवार में किसी एक के भी एकादशी का व्रत करने से कई पीढि़यों के सुमेरु सरीखे पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इस दिन धूप, दीप, मौसम के अनुसार मीठे फल आदि से नारायण का पूजन करना चाहिए। द्वादशी तिथि के दिन स्नान करने के बाद जरूरतमंदों को दक्षिणा देने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। किसी तीर्थस्थान आदि में व्रत करना अति शुभ फल प्रदान करता है।

कथा है कि चम्पावती नगरी में महिष्मत नाम के राजा के पांच पुत्र थे। बड़ा पुत्र चरित्रहीन था और देवताओं की निन्दा करता था। मांसभक्षण और अन्य बुराइयों ने भी उसमें प्रवेश कर लिया था। इस कारण उसके पिता और भाइयों ने उसका नाम लुम्भक रख उसे राज्य से बाहर निकाल दिया। वह वन चला गया। वहां वह पुराने पीपल के वृक्ष के पास ही रहने लगा, जिसे महान देवता माना जाता था। पौष माह की कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन वह सर्दी के कारण प्राणहीन-सा रहा। अगले दिन एकादशी की दोपहर में उसे चेतना प्राप्त हुई। तब वह वन से फल लेकर लौटा और उसने पीपल के पेड़ की जड़ में सभी फलों को रखते हुए कहा, ‘इन फलों से लक्ष्मीपति भगवान विष्णु प्रसन्न हों।' तभी आकाशवाणी हुई, ‘राजकुमार! तुम सफला एकादशी के प्रभाव से राज्य और पुत्र प्राप्त करोगे।' 

लुम्भक में विशिष्ट परिवर्तन हो गया। तब उसके पिता ने उसे राज्य प्रदान किया। कृष्ण की कृपा से उसे मनोज्ञ नामक पुत्र हुआ। पुत्र के युवा होने के बाद लुम्भक ने उसे राज्य सौंप दिया और खुद विष्णु भजन में लग कर मोक्ष पाने में सफल रहा।

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