Hindi Newsधर्म न्यूज़Chhath Puja: Sea of faith rises to offer Arghya to the setting sun on sunday - Astrology in Hindi

Chhath Puja : अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने उमड़ा आस्था का समुद्र

Chhath Puja : नारी सशक्तिकरण में पुरुष की सार्थक भूमिका के प्रतीक लोकपर्व डाला छठ पर लाखों आस्थावानों ने रविवार को गंगा तट पर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को दूध और जल का अर्घ्य दिया। घाटों के सीमित स्थान

Alakha Ram Singh प्रमुख संवाददाता, वाराणसीSun, 30 Oct 2022 11:36 PM
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Chhath Puja : नारी सशक्तिकरण में पुरुष की सार्थक भूमिका के प्रतीक लोकपर्व डाला छठ पर लाखों आस्थावानों ने रविवार को गंगा तट पर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को दूध और जल का अर्घ्य दिया। घाटों के सीमित स्थान पर आस्था का ज्वार हिलोरें ले रहा था। बहुत से लोग जल में खड़े होकर अर्घ्य नहीं दे सके, उन्होंने किनारे तक पहुंचने को ही सौभाग्य समझा।

दलदली मिट्टी पर बना लिया नाव से पुल 
अस्सी से राजघाट के बीच हर घाट पर लोगों का हुजूम था। अंतर यह था कि हर बार मुख्य मार्ग से अस्सी, दशाश्वमेध या भैसासुर घाट पर उतर कर लोग एक घाट से दूसरे घाटों पर पहुंच जाते थे। इस बार मुख्य मार्ग से दूर वाले घाटों तक पहुंचने के लिए व्रतियों ने गलियों का सहारा लिया। अर्घ्यदान के बाद घाट से सड़क की ओर आने वाले हर गली आस्थावानों से भरी रही। अस्सी घाट से दक्षिण की ओर दूर तक दलदल के सामने गुलाबी कपड़ा लगा कर बैरिकेडिंग कर दी गई थी। बाजवूद इसके जल में जाकर अर्घ्य देने वालों ने बीच का रास्ता खोज लिया। नाविकों के सहयोग से दलदली मिट्टी पर नावें कतार में लगवा दीं। उसे पुल के रूप में इस्तेमाल करते हुए किनारे तक गए।

बेटियों के सुमंगल की कामना
विभिन्न प्रकार के पकवानों और फलों से सजे सूप के आगे से अर्घ्य देकर व्रतियों ने भगवान सूर्य से अपनी बहन छठी देवी को प्रसन्न करने का अनुरोध किया। लोक धारणा है कि भाई को प्रसन्न देख बहन स्वत: प्रसन्न हो जाएगी। यह एकमात्र लोकपर्व है जिसमें बेटियों के सुमंगल के लिए व्रत रखा जाता है। हजारों माताओं ने बेटियों के जीवन में आशातीत सफलता के लिए मनौती के साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। जिनकी मनौती पूरी हो गई, वे दंडवत करते हुए घाट तक पहुंचे।

सभी ने संभाली अपनी जिम्मेदारी
व्रत के निमित्त पूजन-अर्चन में परिवार के पुरुष सदस्यों ने अपनी-अपनी जिम्मेदारी बखूबी संभाली। पूजन के लिए घाट पर जाते वक्त डाला परिवार के पुरुष सदस्यों ने उठा रखा था तो युवकों के कंधे पर पत्तीयुक्त लंबी-लंबी ईखें और हाथ में पूजन सामग्री से भरे झोले लटकते दिखे। घाट पर जाते वक्त व्रती महिलाओं के इर्द-गिर्द चल रहीं परिवार की अन्य महिलाएं और युवतियां मंगल गीत गा रही थीं। लौटते वक्त व्रती महिलाओं ने कलश पर जलता हुआ दीपक हाथ में ले रखा था। भीड़ के धक्के से दीपक को बचाने के लिए परिवार के सदस्य उस दीपक के चारो ओर घेरा बना कर चल रहे थे।

पूरी काशी दिखी छठमय
अस्सी से राजघाट के बीच सभी प्रमुख घाटों पर व्रतियों का सैलाब था। संध्या बेला में संपूर्ण काशी ही छठमय दिखाई पड़ी। अस्सी से तुलसी घाट तक, हनुमान घाट से मानसरोवर पांडेय घाट तक, दरभंगा घाट से लेकर मीरघाट तक, सिंधिया घाट से गायघाट और भैसासुर तक सिर्फ लोग ही लोग नजर आ रहे थे। गंगा किनारे सभी प्रमुख घाटों पर पड़गंगा घाटों पर एनडीआरफ की पूरी बटालियन सक्रिय रही।

सक्रिय रहे विभिन्न सामाजिक संगठन
विभिन्न सामाजिक और धामिक संस्थाओं से जुड़े स्वयंसेवक छठव्रतियों की सुविधा व सुरक्षा में पुलिस के साथ कंधे-से कंधा मिला कर लगे रहे। संत रविदास घाट से लेकर विश्वसुंदरी पुल तक भीड़ को नियंत्रित करने में सुरक्षाकर्मियों को काफी जूझना पड़ा। शहर के विभिन्न हिस्सों में मौजूद दर्जनों कुंडों और तालाबों पर नागरिक सुरक्षा, स्थानीय पुलिस और मोहल्ले के निवासियों ने छठ व्रतियों की सेवा के लिए विभिन्न प्रकल्प चलाए।

सूर्य सरोवर पर दिखा आस्था का संगम
बरेका स्थित सूर्य सरोवर पर रविवार शाम आस्था उमड़ पड़ी। ढोल-नगाड़ों की थाप पर छठी मईया की भक्ति में लीन श्रद्धालु छठ गीत गीत गाते हुए सरोवर पर दोपहर दो बजे से पहुंचने लगे थे। शाम को महाप्रबंधक अंजली गोयल ने अर्घ्य देकर पूजन की शुरुआत की। सुरक्षा के मद्देनजर पानी में बांस व रस्सी से बैरिकेडिंग की गई थी। एनडीआरएफ की दो टीमें मोटरबोट से चक्रमण करती रहीं। आरपीएफ व सिविल पुलिस के जवान भी अलर्ट रहे। देर शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों ने माहौल भक्तिमय बना दिया।

घाटों पर एनडीआरएफ ने संभाला मोर्चा
वाराणसी स्थित 11 एनडीआरएफ की छह टीमें दशाश्वमेध घाट, राजघाट, पंचगंगा घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, केदार घाट, अस्सी घाट, सामने घाट, विश्वसुन्दरीघाट और नजदीकी घाटों पर तैनात रहीं। वरुणा किनारे शास्त्री घाट, बरेका के सूर्य सरोवर और चन्दौली जनपद के मुगलसराय क्षेत्र में मानसरोवर तालाब एवं दामोदर दास पोखरा में भी तैनात रहीं। नदियों व सरोवर में अलग से आठ टीमें कुल 26 नावों, वाटर एम्बुलेंस और लगभग 100 से अधिक बचावकर्मियों के साथ मुस्तैद थीं। ये टीमें सोमवार पूजा समाप्ति तक तैनात रहेंगी।

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