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chandra grahan kab lagega 2022: चंद्र ग्रहण शुरू, इन 4 लोगों के लिए मान्य नहीं है सूतक काल के नियम

chandra grahan kab lagega 2022:  कार्तिक अमावस्या को सूर्य ग्रहण के बाद कार्तिक पूर्णिमा आठ नवंबर को मेष राशि और भरनी नक्षत्र में खगास्त्र चंद्र ग्रहण लग रहा है। कोरैय निवासी ज्योतिषविद राधे सुधा शास्

Anuradha Pandey निज संवाददाता, गढ़पुराTue, 8 Nov 2022 05:57 PM
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chandra grahan kab lagega 2022:  कार्तिक अमावस्या को सूर्य ग्रहण के बाद कार्तिक पूर्णिमा आठ नवंबर को मेष राशि और भरनी नक्षत्र में खगास्त्र चंद्र ग्रहण लग रहा है। कोरैय निवासी ज्योतिषविद राधे सुधा शास्त्री के अनुसार तीन प्रहर अर्थात नौ घंटे पहले सुबह 07:59 बजे से सूतक लग चुका है। हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण दोनों को भी अशुभ माना जाता है। साल 2022 में यह अजीब संयोग बन रहा है कि सिर्फ 15 दिन के अंतराल में ही दूसरा ग्रहण लग रहा है। आठ नवंबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण साल का आखिरी ग्रहण होगा।

Lunar Eclipse 2022 ग्रहण के दौरान यह ना करें

ग्रहण काल में शयन और शौचादि क्रिया भी निषिद्ध है। देव मूर्ति का स्पर्श भी नहीं करना चाहिए। धर्म शास्त्र तथा पुराणों का कथन है कि ग्रहण काल में जप तथा दान एवं हवन करने से बहुत फल होता है। धर्म सिंधु में आता है कि ग्रहण लगने पर ग्रहण के मध्य में हवन तथा जप और तप समाप्त होने वाला हो तब दान और समाप्त होने पर पुण्य स्नान करना चाहिए।

chandra grahan kab lagega 2022 sutak सूतक इनके लिए मान्य नहीं

ज्योतिषविद के अनुसार सूर्य ग्रहण के 12 घंटे और चंद्रग्रहण के नौ घंटे पहले से विधवा, यति, वैष्णव और विरक्तों को भोजन नहीं करना चाहिए। बाल, वृद्ध, रोगी और पुत्रवान गृहस्थ के लिए नियम अनिवार्य नहीं है।

chandra grahan kab lagega 2022 sutak चंद्र ग्रहण का राशियों पर असर

मेष- घात, चोट-चपेट, वृश्चिक - हानि, मिथुन-लाभ, सिंह- यात्रा, प्रवास, कन्या- घात, चोट-चपेट, कर्क-मान-सम्मान में कमी, धनु-संतान को कष्ट, मकर-कलह, क्लेश, कुंभ- शुभ काम बनेंगे, मीन-धन नाश।, बृष-शत्रु पराजय, रोग नाश।

chandra grahan 2022 sutak ग्रहण काल में कुश व तुलसी का महत्व

ग्रहण काल में विधानत: जल, भोजन आदि में कुश या तुलसी डालना चाहिए। इससे ग्रहण काल में वह दूषित नहीं होता है।

chandra grahan चंद्र ग्रहण कैसे लगता है

पूर्णिमा की रात को जब सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी परिक्रमा करते हुए एक सीधी रेखा में आ जाते हैं तो पृथ्वी के बीच में रहने से इस की परछाई चंद्रमा पर पड़ती है। इस कारण चंद्र ग्रहण लगता है। कभी-कभी चंद्रमा पर धरती की छाया आकर्षक लाल रंग की होती है और कई बार यह चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है।

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