Chandra Grahan 2020 : 5 जून को लगने वाले चंद्र ग्रहण से पहले इसलिए नहीं लगेगा सूतक काल, इन बातों का जरूर रखें ध्यान
5 जून शुक्रवार को इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. भारत में भी इसे देखा जा सकेगा। 5 जून को लगने वाला यह ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। चंद्रमा पर मात्र एक धुंधली सी छाया...
5 जून शुक्रवार को इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. भारत में भी इसे देखा जा सकेगा। 5 जून को लगने वाला यह ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। चंद्रमा पर मात्र एक धुंधली सी छाया पड़ेगी। इस वजह से इसका धार्मिक कार्यों पर न के बराबर असर रहेगा। वहीं, ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है लेकिन उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण इस ग्रहण में सूतक काल नहीं लगेगा।
कब लगेगा चंद्रग्रहण
चंद्रग्रहण शुक्रवार 5 जून की रात 11 बजकर 16 मिनट से आरंभ हो जाएगा जो 6 जून, शनिवार को 2 बजकर 34 मिनट में समाप्त होगा। 12 बजकर 54 मिनट में ग्रहण का प्रभाव सबसे ज्यादा रहेगा।
उपच्छाया चंद्र ग्रहण क्या अर्थ क्या है
5 जून को होने वाला चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्रग्रहण होगा। उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण चांद के आकार में किसी भी प्रकार का कोई भी बदलाव देखने को नहीं मिलेगा। इसमें सिर्फ चांद मटमैल जैसा हो जाएगा। ज्योतिष में इस घटना को ग्रहण नहीं कहा जाता इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। चंद्रग्रहण में सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है। उपच्छाया चंद्र ग्रहण में जब पृथ्वी की छाया वाले क्षेत्र में चंद्रमा आ जाता है और चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी बहुत ही कम पड़ती प्रतीत होती है। इसे ही उपच्छाया चंद्रग्रहण कहते हैं।
कहां-कहां दिखाई देगा यह ग्रहण
भारत समेत यह चंद्रग्रहण एशिया,यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में देखा जा सकेगा। लेकिन इसमें चांद के आकार में कोई भी बदलाव देखने को नहीं मिलेगा सिर्फ चांद थोड़ा सा मटमैला रंग का दिखाई देगा।
इन बातों का रखें ध्यान
-आप चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देख सकते हैं, लेकिन यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है, जो कि खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों (सोलर-व्युइंग ग्लासेस, पर्सनल सोलर फिल्टर्स या आइक्लिप्स ग्लासेस) से ही देखा जा सकेगा।
-माना जाता है कि ग्रहण के वक्त खुले आकाश में ना निकलें, खासकर प्रेग्नेंट महिलाएं, बुजुर्ग, रोगी और बच्चे. ग्रहण से पहले या बाद में ही खाना खाएं।
-धार्मिक मान्यकताओं के मुताबिक ग्रहण का विशेष महत्वख रहता है। दरअसल, ग्रहण काल को अशुभ माना जाता है। सूतक की वजह से इस दौरान कोई भी धार्मिक कार्य करना शुभ नहीं माना जाता। धार्मिक मान्यकताओं में विश्वाभस रखने वाले लोग ग्रहण के वक्त शिव चालिसा का पाठ कर सकते हैं।
-ग्रहण खत्मे होने के बाद नहाकर गंगा जल से घर का शुद्धिकरण करते हैं और फिर पूजा-पाठ कर दान-दक्षिणा करते हैं लेकिन शास्त्रों में उपच्छाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण ही नहीं माना जाता है। इसलिए इस ग्रहण में कोई सूतक काल नहीं लगता।
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