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Chandra grahan 2019: सुपर ब्लड वोल्फ मून से बेअसर रहेगा मौसम, जानें इससे जुड़े ये 5 मिथक

साल का पहला और पूर्ण चंद्र ग्रहण 21 जनवरी यानी सोमवार को लग रहा है। यह चंद्रग्रहण भारत में नहीं आएगा, मगर SPACE.com की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में टाइडल फोर्स काफी तेज होंगी क्योंकि अन्य...

लाइव हिन्दुस्तान नई दिल्ली Mon, 21 Jan 2019 09:57 AM
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साल का पहला और पूर्ण चंद्र ग्रहण 21 जनवरी यानी सोमवार को लग रहा है। यह चंद्रग्रहण भारत में नहीं आएगा, मगर SPACE.com की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में टाइडल फोर्स काफी तेज होंगी क्योंकि अन्य दिनों के मुकाबले चंद्रमा की ऊर्जा 42% फीसदी अधिक होगी। 

चंद्रग्रहण से कई तरह के मिथक भी जुड़े हुए हैं। कहा जाता है इसके प्रभाव से मौसम खराब होता है। राक्षस केतु चंद्रमा को खा जाता है। मगर इन बातों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। पूर्णिमा के चांद के विभिन्न नाम जैसे ब्लू मून, ब्लड मून, सुपर मून या सुपर ब्लड वोल्फ मून क्षेत्रीय मान्यताओं, उस दौरान चांद के रंग और वातावरण के आधार पर तय होता है। 

बता दें कि इस बार का चंद्र ग्रहण उत्तर और दक्षिण अमेरिका में, यूरोप में, अफ्रीका और मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। इसकी समयावधि सुबह 09:03:54 से 12:20:39 तक बजे तक बताई जा रही है। 

आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण से जुड़े ये मिथक और तथ्य

चंद्रमा और पृथ्वी के बीच मैग्नेटिक तरंगों की वजह से पूर्णिमा या अमावस्या को ज्वार भाटा आने की संभावना रहती है। अमावस्या और पूर्णिमा के दिन सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी तीनों में एक सीध में होते होते हैं। इन तिथियों में सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी के संयुक्त प्रभाव के कारण ज्वार की ऊँचाई सामान्य ज्वार से 20% अधिक होती है। इसका ग्रहण से कोई संबंध नहीं होता है।

चंद्रग्रहण पर राक्षस केतु चांद को खा लेता है। मगर महान खगोलशास्त्री आर्यभट्ट ने 499 ईस्वी में पहली बार संसार के सामने ग्रहणों की व्याख्या करते हुए कहा था कि यह सूर्य और चंद्रमा का ग्रहण सिर्फ छाया का खेल है। चंद्रमा को सूरज से रोशनी मिलती है, इसलिए जब इन दोनों के बीच धरती आ जाता है, तो चंद्रग्रहण होता है।

इस चंद्रग्रहण से भारत के अलावा यूरोप और उत्तरी अमेरिका में भी भारी ठंड पड़ सकती है। ठंड ही नहीं, ओलावृष्टि और बर्फबारी भी हो सकती है। हालांकि नासा की वेबसाइट के मुताबिक चंद्रग्रहण की वजह से मौसम में तेज उतार-चढ़ाव, ज्वालामुखी विस्फोट, बाढ़, सुनामी जैसी चीजों नहीं होती हैं। 

ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर के अंदर ही रहने की सलाह दी जाती है। माना जाता है कि इस समय गर्भ में पल रहे बच्चे की जान को खतरा रहता है। गर्भवती महिला को किसी भी तरह की धार वाली चीज इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इससे होने वाले बच्चे के अंग-भंग होने की आशंका रहती है। हालांकि इसका भी कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। 

अफ्रीका में, चंद्रग्रहण को लेकर मिथक है कि चंद्रग्रहण के समय चांद और सूर्य के बीच लड़ाई होती है। यह मान्यता टोगो और बेनिन के लोगों के बीच सबसे ज्यादा प्रचलित है। उनका मानना है कि इस समय लोगों को अपने झगड़े खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए।

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