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चैत्र नवरात्रि की अष्टमी-नवमी को इस सरल विधि से करें हवन,पंडित जी से जानें हवन सामग्री,मंत्र और पूजाविधि

Chaitra Navratri 2024 Hawan Vidhi : हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को हवन और कन्या पूजन के कार्य बेहद शुभ माने जाते हैं। मान्यता है कि इसके बिना पूजा का संपूर्ण फल नहीं मिलता है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 15 April 2024 07:31 AM
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Chaitra Navratri 2024 Poojavidhi : चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-उपासना का बड़ा महत्व है। साथ ही नवरात्रि की अष्टमी-नवमी तिथि को कन्या पूजन और हवन के बाद ही नवरात्रि का समापन किया जाता है।मान्यता है कि इसके बिना व्रत-पूजन का संपूर्ण फल नहीं मिलता है।   दृक पंचांग के अनुसार, इस साल 16 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की महा-अष्टमी है और 17 अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी।  नवरात्रि के अष्टमी और नवमी तिथि को हवन-पूजन करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है और परिवार के सदस्यों पर मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि की अष्टमी-नवमी को हवन का शुभ मुहूर्त, हवन सामग्री, मंत्र और पूजाविधि...

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि : दृक पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि का आरंभ 15 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर हो रहा है और इसका समापन 16 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 23 मिनट पर होगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 16 अप्रैल को महा-अष्टमी मनाई जाएगी । इस दिन कन्या पूजन और हवन का कार्य माना जाता है

चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि : दृक पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि की महानवमी 16 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 23 मिनट पर आरंभ होगी और 17 अप्रैल को दोपहर 3 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 17 अप्रैल को महानवमी मनाई जाएगी। 

हवन सामग्री लिस्ट : हवन कुंड, चंदन की लकड़ी, हवन सामग्री,गाय के गोबर के उप्पले अश्वगंधा, पान, सुपारी, लौंग, जायफल, सिन्दूर, उड़द,शहद, गाय का घी, कपूर, मुलैठी, आम की लकड़ी, सूखा नारियल का गोला, जौ, फूलों की माला, लोबान, नवग्रह लकड़ी, चीनी, लाल कपड़ा, चंदन, रोली, मौली, अक्षत, गुग्गल, लौंग,तिल, चावल, 5 प्रकार के फल समेत हनव की सभी सामग्री एकत्रित कर लें।

पूजाविधि :

सबसे पहले हवन स्थल को अच्छे से साफ कर लें और वहां गंगाजल छिड़कें।
हवन कुंड को भी धोकर साफ कर लें।
इसके माता रानी की विधिवत पूजा-आराधना करें।
हवन कुंड में आम की लकड़ी और गोबर के उप्पले सजाएं।
फिर हवन कुंड में लकड़ियों के बीचोबीच में कपूर और घी डालें।
हवन की सामग्री और एक कटोरी में साफ घी रख लें।
एक सूखा नारियल में कलावा लपेटकर रख लें।
अब अग्नि प्रज्ज्वलित करें और नीचे दिए गए मंत्रों को बारी-बारी पढ़कर आहुति देना शुरू करें।
इसमें नवदुर्गा, नवग्रह और त्रिदेव समेत सभी देवी-देवताओं को आहुति दें।
फिर नारियल पर खीर, पूड़ी, पान का पत्ता, सुपारी, लौंग और फल रखकर उसे हवनकुंड के बीचोबीच में रख दें।
बची हुई हवन सामग्री को यज्ञ में अर्पित कर दें। 
इसके बाद कपूर या घी के दीपक से माता रानी की आरती उतारें।
हवन स्थल पर पूजा-पाठ में हुई गलतियों के लिए मांफी मांगे।
परिवार के सभी सदस्यों को आरती के दर्शन करने दें और दक्षिणा स्वरूप थाली में कुछ रुपए अर्पित करें।
आरती के बाद माता रानी को खीर,पूड़ी, चना और हलवे का भोग लगाएं।
इसके बाद कन्या पूजन करें और कन्याओं का भोजन कराएं और उन्हें कुछ उपहार दें।

हवन के दौरान इन मंत्रों का करें जाप :

ओम आग्नेय नमः स्वाहा

ओम गणेशाय नमः स्वाहा

ओम गौरियाय नमः स्वाहा

ओम नवग्रहाय नमः स्वाहा

ओम दुर्गाय नमः स्वाहा

ओम महाकालिकाय नमः स्वाहा

ओम हनुमते नमः स्वाहा

ओम भैरवाय नमः स्वाहा

ओम कुल देवताय नमः स्वाहा

ओम स्थान देवताय नमः स्वाहा

ओम ब्रहमाय नमः स्वाहा

ओम विष्णुवे नमः स्वाहा

ओम शिवाय नमः स्वाहा

ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमुस्तति स्वाहा

ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा

ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।

ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।


 

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