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Navratri 2024 : इस दिन से शुरू हो रहे हैं चैत्र नवरात्र, जानें सप्तमी, महाअष्टमी, रामनवमी और दशमी की सही तिथि और घटस्थापना मुहूर्त

Chaitra Navratri 2024 : हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा को सुख-समृद्धि और धन की देवी कहा जाता है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीMon, 8 April 2024 07:32 AM
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Chaitra Navratri 2024 : चैत्र नवरात्र नौ अप्रैल से शुरू हो रहा है। नौ अप्रैल को कलश स्थापन के साथ ही पहली पूजा शुरू हो जाएगी।  9 दिनों तक चलने वाली चैत्र नवरात्रि मंगलवार 9 अप्रैल को कलश स्थापना के साथ शुरू होगी। इसके साथ ही हिन्दू नववर्ष का आरंभ होगा। चैत्र नवरात्रि हिन्दू नववर्ष के प्रथम दिन से आरम्भ होती है। मंगलवार को कलश स्थापना होगी। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना का विधान है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा को सुख-समृद्धि और धन की देवी कहा जाता है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों पर माता रानी की कृपा रहती है। 15 अप्रैल को महासप्तमी है। इस दिन रात में निशा पूजा होगी। 16 अप्रैल को महाअष्टमी की पूजा होगी। 17 अप्रैल को रामनवमी है। इस दिन अखंड कीर्तन होगा। 18 अप्रैल को दशमी है। 

घटस्थापना मुहूर्त - 06:12 ए एम से 10:23 ए एम

अवधि - 04 घण्टे 11 मिनट्स

घटस्थापना अभिजित मुहूर्त -  12:03 पी एम से 12:53 पी एम

अवधि - 50 मिनट्स

कलश स्थापना की विधि: कलश की स्थापना मंदिर के उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए और मां की चौकी लगा कर कलश को स्थापित करना चाहिए। सबसे पहले उस जगह को गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर लें। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर कलश को स्थापित करें। कलश में आम का पत्ता रखें और इसे जल या गंगाजल भर दें। साथ में एक सुपारी, कुछ सिक्के, दूर्वा, हल्दी की एक गांठ कलश में डालें। कलश के मुख पर एक नारियल लाल वस्त्र से लपेट कर रखें। चावल यानी अक्षत से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें। इन्हें लाल या गुलाबी चुनरी ओढ़ा दें। कलश स्थापना के साथ अखंड दीपक की स्थापना भी की जाती है। कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करें। हाथ में लाल फूल और चावल लेकर मां शैलपुत्री का ध्यान करके मंत्र जाप करें और फूल और चावल मां के चरणों में अर्पित करें। मां शैलपुत्री के लिए जो भोग बनाएं, गाय के घी से बने होने चाहिए। या सिर्फ गाय के घी चढ़ाने से भी बीमारी व संकट से छुटकारा मिलता है।

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