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Chaitra Navratri 2024:चैत्र नवरात्रि पर बन रहा है दुर्लभ संयोग, जानें घटस्थापना की सरल विधि

Chaitra Navratri 2024 Kalash Sthapana Vidhi : पंचांग के अनुसार, 9 अप्रैल से नवरात्रि का आरंभ होगा। इस साल अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग समेत कई शुभ संयोग में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 30 March 2024 01:00 AM
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Chaitra Navratri 2024 Poojavidhi : हिंदू धर्म में नवरात्रि के 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना का बड़ा महत्व है। सालभर मुख्य रूप से 4 नवरात्रि आते हैं। जिसमें दो गुप्त नवरात्रि, एक शारदीय नवरात्रि और एक चैत्र नवरात्रि शामिल है। दृक पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल 2024 प्रतिपदा तिथि से होने जा रही है। नवरात्रि की पहले दिन ही कलश स्थापित किया जाता है और नौ दिनों के व्रत का संकल्प लिया जाता है। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त और कलश स्थापना की सरल विधि :

चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त : पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 9 अप्रैल को रात 8 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि का आरंभ होगा और 13 अप्रैल को समाप्त होगा।

शुभ संयोग : पंचांग के अनुसार, इस साल अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग समेत कई शुभ संयोग में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी। 

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त : चैत्र माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 23 मिनट तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त बन रहा है।

कलश स्थापना की विधि:

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठें।
स्नानादि के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई करें। मंदिर को फूलों से सजाएं।
घट स्थापना के लिए एक मिट्टी के कलश में पानी भरकर रख दें।
कलश में सिक्का, सुपारी, आम का पत्ते जरूर डालें।
इसके बाद एक लाल कपड़ा बिछाकर उसपर चावल का ढेर बनाएं।
अब चावल के ढेर पर कलश स्थापित करें। कलश पर कलावा बांध दें।
इसके साथ ही कलश पर स्वास्तिक भी बनाएं।
फिर एक मिट्टी के बर्तन में मिट्टी और जौ मिलाएं। इसमें थोड़ा पानी छिड़कें और इसे भी स्थापित कर दें।
अब मंदिर में मां भगवती की प्रतिमा रखें। सभी देवी-देवताओं का आह्वान करें।
सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें और सभी मां दुर्गा समेत सभी देवी-देवताओं की आरती करें।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
 

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