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Chaitra Navratri : चैत्र नवरात्र 9 अप्रैल से, ज्योतिषाचार्य से जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, मां के नौ दिनों का भोग प्रसाद से लेकर सबकुछ

Chaitra Navratri 2024 : चैत्र माह की नवरात्रि इस वर्ष 9 अप्रैल से शुरू होगी। 17 अप्रैल को रामनवमी के साथ ही महापर्व का समापन होगा। इस वर्ष चैत्र का प्रतिपदा 8 अप्रैल की देर रात शुरू हो रहा है।

Yogesh Joshi हिन्दुस्तान टीम, पटनाTue, 9 April 2024 08:43 AM
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Chaitra Navratri 2024 Date : चैत्र माह की नवरात्रि इस वर्ष 9 अप्रैल से शुरू होगी। 17 अप्रैल को रामनवमी के साथ ही महापर्व का समापन होगा। इस वर्ष चैत्र का प्रतिपदा 8 अप्रैल की देर रात शुरू हो रहा है। इसलिए अगले दिन उदयातिथि को नवरात्र के पहला दिन मानकर घट (कलश) की स्थापना होगी। पंडित प्रेम सागर पांडेय के अनुसार चैत्र प्रतिपदा मंगलवार 9 अप्रैल रात 9. 44 बजे तक है। घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 05.46 बजे से सुबह 9.08 बजे तक किया जा सकता है। इसके बाद सुबह 11.36 बजे से 12.24 दोपहर तक अभिजीत मुहूर्त में भी घट स्थापित करना भक्तों के लिए लाभकारी होगा। ज्योतिषाचार्य पीके युग बताते हैं कि अभिजीत मुहूर्त में किसी भी तरह का कोई शुभ कार्य किया जा सकता है। इस वर्ष मां भगवती घोड़े पर सवार होकर नवरात्र में आ रही हैं। घोड़े पर सवार मां को कल्याणकारी नहीं माना जाता है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। मां की विदाई नर वाहन पर हो रही है। इसे अच्छा माना जाता है।

मां का पसंदीदा रंग : ज्योतिषाचार्य पीके युग बताते हैं कि मां शैलपुत्री को पीले रंग के परिधान, माता ब्रह्मचारिणी को हरा रंग, मां चंद्रघंटा को पीला या हरा, कुष्मांडा को नारंगी, स्कंदमाता को सफेद, कात्यायनी को लाल रंग, मां कालरात्रि को  नीला, महागौरी को गुलाबी और मां के नौवे रूप मां सिद्धिदात्री को बैंगनी रंग के परिधान पहनाया जाता है। मां के रूप के अनुरूप परिधान और भोग लगाकर मां का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।

नवरात्रि के नौ दिन, मां का रूप और भोग प्रसाद :

दिवस मां का रूप भोग प्रसाद

प्रतिपदा शैलपुत्री दूध, शहद, घी, फल और नारियल

दूसरा ब्रह्मचारिणी मिश्री, दूध और पंचामृत

तीसरा चंद्रघंटा खीर, दही आदि

चौथा कुष्मांडा हरा फल, अंकुरित अनाज, मालपुआ, इलाइची

पंचवां स्कंदमाता अनार, छुहारा व किशमिश

छठा कात्यायिनी शहद और उससे निर्मित खाद्य पदार्थ

सांतवां कालरात्रि गुड़ और गुड़ से बने पकवान

आठवां महागौरी नारियल लक्ष्मी वृद्धि के लिए अनार (बिदाना)

नौवां सिद्धिदात्री हलुआ, पुड़ी, गुलगुला, मालपुआ

चैती छठ भी पड़ता है नवरात्र में : ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि चैती नवरात्रि के दौरान चैती छठ भी पड़ता है। चैती छठ करने वाले श्रद्धालु चैत्र शुक्ल चतुर्थी 12 अप्रैल को नहाय-खाय से चार दिवसीय निर्जला छठ व्रत का अनुष्ठान शुरू करेंगे। 13 अप्रैल को खरना होगा। चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि 14 अप्रैल को अस्ताचलगामी सूर्य को श्रद्धालु अर्घ्य देंगे और सप्तमी तिथि 15 अप्रैल को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर महापर्व चैती छठ का समापन होगा।

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