Hindi Newsधर्म न्यूज़Amarnath Yatra 2024 Date: Pilgrimage to begin from June 29 registration from tomorrow

Amarnath Yatra 2024 : 29 जुलाई से शुरू होगी अमरनाथ की यात्रा, रजिस्ट्रेशन आज से

Amarnath Yatra 2024 Registration : श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अनुसार, पवित्र तीर्थस्थल की वार्षिक तीर्थयात्रा, अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू होगी और 19 अगस्त को समाप्त होगी।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीMon, 15 April 2024 11:20 PM
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Amarnath Yatra 2024 : श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अनुसार, पवित्र तीर्थस्थल की वार्षिक तीर्थयात्रा, अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू होगी और 19 अगस्त को समाप्त होगी। 52 दिवसीय यात्रा के लिए रजिस्ट्रशन सोमवार, 15 अप्रैल से शुरू हो गए हैं।  कड़ी सुरक्षा और चौकसी के बीच हर साल होने वाली अमरनाथ यात्रा दो मार्गों से होती है - अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबा नुनवान-पहलगाम मार्ग और गांदरबल जिले में 14 किलोमीटर लंबा छोटा लेकिन तीव्र बालटाल मार्ग से। भौगोलिक परिस्थितियों के कारण साल में एकमात्र समय ये है जब अमरनाथ गुफा के दर्शन सुलभ होते हैं। 

श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) दुनिया भर के भक्तों के लिए सुबह और शाम की आरती (प्रार्थना) का सीधा प्रसारण भी कराता है। यात्रा और मौसम के बारे में वास्तविक समय की जानकारी प्राप्त करने और कई सेवाओं का ऑनलाइन लाभ उठाने के लिए अमरनाथ यात्रा का ऐप Google Play Store पर उपलब्ध कराया गया है। अमरनाथ की पवित्र गुफा लदार घाटी में स्थित है जो राजधानी श्रीनगर से 141 किमी की दूरी पर और समुद्र तल से 12,756 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। अमरनाथ गुफा वर्ष के अधिकांश समय ग्लेशियरों और बर्फ से ढके पहाड़ों से ढकी रहती है।

जहां भगवान शिव ने बताए थे मां पार्वती को अमर होने के गुप्त रहस्य - इस कथा को सुनाने के लिए वो अकेले मां पार्वती को सुनाना चाहते थे, इसलिए अपना नाग, नंदी, चंद्रमा सभी को पीछे छोड़ गए थे। इसके बाद भगवान शिव ने आग जलाई और मां पार्वती को अमर होने की कथा सुनाई। बीच-बीच में उन्हें हूं-हूं होने की आवाज आती रही, उन्हें लगा माता पार्वती हुंकार भर रही हैं, लेकिन माता पार्वती नहीं दो कबूतर उनकी कथा सुन रहे थे और बीच में गूटर गू, गुटर गू कर रहे थे। जब कथा समाप्त हुई तो शिवजी ने देखा माता पार्वती तो सो रही हैं और दो कबूतर उनकी कथा सुन रहे हैं, इस पर शिवजी को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने कबूतरों को श्राप देना चाहा, लेकिन कबूतर का जोड़ा बोला कि अगर आप हमें मार दोगे तो यह कथा झूठी हो जाएगी। इस पर भगवान शिव ने दोनों को कहा कि तुम इस जगह और कथा के साक्षी रहोगे। तब से इस जगह का नाम भी अमरनाथ पड़ा।

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