Hindi Newsधर्म न्यूज़Aja Ekadashi 2023: When is Aja Ekadashi on 9 or 10 September Know puja time vrat vidhi and Paran timing

Aja Ekadashi 2023: अजा एकादशी व्रत आज, जानें पूजन मुहूर्त, व्रत विधि, महत्व व व्रत पारण का समय

Aja Ekadashi 2023 Kab hai: हिंदू धर्म में अजा एकादशी बहुत महत्व रखती है। इस दिन भगवान श्रीहरि की उपासना करने के साथ ही भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते हैं। जानें कब है अजा एकादशी-

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 10 Sep 2023 10:48 AM
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Aja Ekadashi 2023 Vrat Date: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामना पूरी करते हैं। हर माह में दो बार एकादशी पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल 10 सितंबर 2023, बुधवार को अजा एकादशी व्रत रखा जाएगा। जानें अजा एकादशी पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त व व्रत पारण का समय-

अजा एकादशी शुभ मुहूर्त 2023-

एकादशी तिथि 09 सितंबर को शाम 07 बजकर 17 मिनट पर प्रारंभ होगी और 10 सितंबर को रात 09 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। 

अजा एकादशी व्रत पारण का समय-

अजा एकादशी व्रत का पारण 11 सितंबर को किया जाएगा। व्रत का पारण 11 सितंबर को सुबह 06 बजकर 04 मिनट से सुबह 08 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। पारण के दिन द्वादशी तिथि समाप्त होने का समय रात 11 बजकर 52 मिनट है।

एकादशी व्रत पूजा सामग्री लिस्ट-

श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति, पुष्प, नारियल, सुपारी, फल, लौंग, धूप, दीप, घी, पंचामृत, अक्षत, तुलसी दल, चंदन व मिष्ठान आदि।

एकादशी व्रत पूजा-विधि-

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान की आरती करें। 
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। 
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। 
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। 

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