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कहते हैं शिवरात्रि के दिन इस मंदिर में आती है बदबू, अश्वत्थामा से जुड़ा है रहस्य

dirgheswar temple: यूपी के गोरखपुर के देवरिया में एक शिवजी का मंदिर है, जिसे दीर्घेश्‍वरनाथ मंदिर कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि आज भी अश्‍वत्‍थामा यहां भगवान शिव की पूजा करने रात की तीसरे पहर आते हैं।

Anuradha Pandey नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तानThu, 1 Aug 2024 08:04 AM
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यूपी के गोरखपुर के देवरिया में एक शिवजी का मंदिर है, जिसे दीर्घेश्‍वरनाथ मंदिर कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि आज भी अश्‍वत्‍थामा यहां भगवान शिव की पूजा करने रात की तीसरे पहर आते हैं। सुबह जब मंदिर के कपाच खोले जाते हैं, तो यहां शिवलिंग पर फूल और रौली अर्पित हुए मिलते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अश्वत्थामा आज भी यहां भगवान शिव की अराधना करने आते हैं।

मंदिर में फैल जाती है बदबू
यही नहीं शिवरात्रि के दिन यहां अश्‍वत्‍थामा आते हैं। यहां के लोग बताते हैं कि अश्‍वत्‍थामा के आने से पहले यहां पर काफी बदबू फैल जाती है। मंदिर का माहौल भी पूरी तरह से बदल जाता है। पुजारियों और आसपास के लोगों का कहना है कि यह बदबू अश्‍वत्‍थामा के सिर में मणि निकालने के बाद हुए घाव से आती है। यही नहीं इस मंदिर की एक मान्यता यह भी है कि जब इस मंदिर में पूजा करते हैं, तो लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है, इसलिए इस मंदिर का नाम दीर्घेश्‍वरनाथ मंदिर पड़ा।


कौन था अश्वत्थामा

अश्वत्थामा महाभारतकाल में श्रेष्ठ योद्धा थे। वे गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे। द्रोणाचार्य ने ही कौरवों और पांडवों को शस्त्र विद्या में पारंगत बनाया था। महाभारत के युद्ध के समय गुरु द्रोणाचार्य ने कौरवों का साथ देना उचित समझा। पिता-पुत्र की जोड़ी ने महाभारत के युद्ध के दौरान पांडवों की सेना से लड़ाई की। इस पर श्रीकृष्ण ने द्रोणाचार्य का वध करने के लिए युधिष्ठिर थोड़ी कूटनीतिकता का सहारा लेने को कहा। उन्होंने यह खबर फैला दीकि अश्वत्थामा मारा गया है। जब द्रोणाचार्य ने धर्मराज युधिष्ठिर से अश्वत्थामा की मृत्यु की सत्यता जाननी चाही ऐसे में गुरु द्रोण अकेले पड़ गए और मारे गए। अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा को विचलित हो गया और उसने बदला लेने के लिए उत्तरा के गर्भ में पल रहे अभिमन्यु पुत्र परीक्षित को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया। इस पर भगवान श्री कृष्ण ने परीक्षित की रक्षा कर दंड स्वरुप अश्वत्थामा के माथे पर लगी मणि निकालकर उन्हें तेजहीन कर दिया और युगों-युगों तक भटकते रहने का शाप दिया था।

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