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Skanda Sashti 2025:3 शुभ योगों में स्कंद षष्ठी आज, नोट कर लें डेट, शुभ मुहूर्त, मंत्र, पूजाविधि और महत्व

  • Skanda Sashti January 2025: आज 05 जनवरी 2025 को स्कंद षष्ठी मनाया जा रहा है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय भगवान की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 5 Jan 2025 09:34 AM
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Skanda Sashti 2025: हिंदू धर्म में प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी मनाई जाती है। स्कंद षष्ठी के दिन भगवान स्कंद की पूजा की जाती है। जिन्हें कार्तिकेय या साउथ इंडिया में भगवान मुरुगन भी कहा जाता है। यह दिन शिव-गौरी के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा-आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। इस दिन पूजा-उपसना के साथ लोग व्रत भी रखते हैं। दृक पंचांग के अनुसार, साल 2025 का पहला स्कंद षष्ठी व्रत आज 5 जनवरी 2025 को 3 शुभ योगों में रखा जा रहा है। धार्मिक मान्यता ओं के अनुसार, स्कंद षष्ठी के दिन व्रत और पूजन से बुरी शक्तियों से छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। आइए जानते हैं स्कंद षष्ठी की सही डेट, शुभ मुहूर्त, मंत्र, पूजाविधि और धार्मिक महत्व...

कब है स्कंद षष्ठी?

दृक पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का आरंभ 04 जनवरी 2025 को रात 10 बजे से हो चुका है और आज 05 जनवरी को रात 08 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 05 जनवरी 2025 को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन त्रिपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है।

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शुभ मुहूर्त :

ब्रह्म मुहूर्त :05:26 ए एम से 06:20 ए एम

अभिजित मुहूर्त : 12:06 पी एम से 12:47 पी एम

विजय मुहूर्त : 02:11 पी एम से 02:52 पी एम

गोधूलि मुहूर्त : 05:36 पी एम से 06:03 पी एम

त्रिपुष्कर योग : 08:15 पी एम से 08:18 पी एम

अमृत काल : 12:39 पी एम से 02:11 पी एम

सर्वार्थ सिद्धि योग : 08:18 पी एम से 07:15 ए एम, जनवरी 06

रवि योग : 07:15 ए एम से 08:18 पी एम

पूजाविधि :

स्कंद षष्ठी के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा के समक्ष दीपक प्रज्ज्वलित करें। इसके बाद कच्चा दूध या जल प्रतिमा पर छिड़के और उन्हें नए वस्त्र अर्पित करें। भगवान स्कंद को फल, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। विधि-विधान से पूजा करें। अंत में सभी देवी-देवताओं के साथ स्कंद भगवान की आरती उतारें। स्कंद षष्ठी कवच का पाठ करें।

मंत्र : स्कंद षष्ठी के दिन पूजा-अर्चना के दौरान कार्तिकेय गायत्री मंत्र- 'ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात:' का पाठ कर सकते हैं।

स्कंद षष्ठी का धार्मिक महत्व

स्कंद षष्ठी के दिन शिव-गौरी के पुत्र कार्तिकेय भगवान की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्कंद षष्ठी का व्रत रखने और कार्तिकेय भगवान की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है और सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर दैत्य का वध किया था। कार्तिकेय भगवान को देवी-देवताओं का सेनापति कहा जाता है। इस दिन कार्तिकेय भगवान की पूजा, मंत्र और आरती करने से भगवान प्रसन्न होते हैं।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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