Shukra Pradosh Vrat : शुक्र प्रदोष व्रत आज, नोट कर लें पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त
Shukra Pradosh Vrat : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है।

Shukra Pradosh Vrat : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। वैशाख माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 25 अप्रैल को पड़ रहा है।
मनवांछित फल की होती है प्राप्ति-
प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। वैखाख माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत शुक्रवार को पड़ रहा है। शुक्रवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शुक्र प्रदोष व्रत करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से संतान पक्ष को लाभ होता है। आइए जानते हैं शुक्र प्रदोष व्रत पूजा-विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्ट...
मुहूर्त-
वैशाख, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ - 11:44 ए एम, अप्रैल 25
वैशाख, कृष्ण त्रयोदशी समाप्त - 08:27 ए एम, अप्रैल 26
प्रदोष काल- 06:53 पी एम से 09:03 पी एम
पूजा-विधि : शुक्र प्रदोष व्रत फलाहार रखा जाता है। इस दिन सायंकाल प्रदोष काल में शिवजी की पूजा का विशेष महत्व है। प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ कपड़े पहनें। घर के मंदिर की साफ-सफाई करें। इसके बाद शिव परिवार की पूजा आरंभ करें। मंदिर में घी का दीपक जलाएं। शिवजी, माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की विधिवत पूजा करें। शिवलिंग पर जलाभिषेक करें। शाम को प्रदोष काल में स्नानादि से निवृत्त होकर साफ कपड़े धारण करें और शिवजी कू पूजा आरंभ करें। संभव हो तो शिवालय भी जाएं। इसके बाद शिवलिंग पर जल अर्पित करें। शिवजी को बिल्वपत्र, आक के फूल, धतूरा,भांग और फल-फूल अर्पित करें। इसके बाद पूर्व दिशा में मुख करके शिवजी और मां गौरी की पूजा करें। शिवजी के बीज मंत्र ऊँ नमः शिवाय का जाप करें। शिवचालीसा का पाठ करें और अंत में शिव-गौरी समेत सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें। अंत में पूजा के दौरान हुई गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना मांगे और शिवजी का आशीर्वाद लेकर पूजा समाप्त करें।