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कृष्ण जन्माष्टमी पर खीरे का होता है विशेष महत्व, गर्भवती महिलाओं के लिए होता है फलदायी

  • हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत अधिक महत्व होता है। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथी और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तानSat, 24 Aug 2024 05:43 AM
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 हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत अधिक महत्व होता है। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथी और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा- अर्चना की जाती है। इस दिन व्रत भी रखा जाता है। जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा में खीरे का विशेष महत्व माना जाता है। जन्माष्टमी की पूजा में डंठल वाले खीरे का उपयोग किया जाता है। 

गर्भनाल की तरह माना जाता है खीरे को

कुछ लोग जन्माष्टमी के पावन पर्व पर कान्हा का जन्म भी करते हैं। ऐसे में डंठल वाले खीरे को गर्भनाल की तरह माना जाता है। वहीं, श्री कृष्ण के जन्म के बाद डंठल वाले खीरे को डंठल से उसी तरह अलग कर दिया जाता है जैसे गर्भ से बाहर आने के बाद बच्चे को नाल से अलग किया जाता है। भगवान के जन्म के बाद खीरे को डंठल से सिक्के की मदद से अलग कर दें। जन्माष्टमी पर खीरा काटने का मतलब बाल गोपाल को मां देवकी के गर्भ से अलग करना है।

पूजा के बाद खीरे को प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है

जन्माष्टमी की पूजा के बाद कटे हुए खीरे को प्रसाद के रूप में लोगों को बांट दिया जाता है। 

गर्भवती महिलाओं के लिए खीरा होता है शुभ

गर्भवती महिलाओं के लिए इस कटे हुए खीरे को प्रसाद में ग्रहण करना बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है की संतान की प्राप्ति के लिए या भगवान श्री कृष्ण की तरह संतान पाने के लिए जन्माष्टमी पर डंठल वाले खीरे का प्रसाद रूप में सेवन करना चाहिए।

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