Hindi Newsधर्म न्यूज़Sharad purnima date and time purnima kab hai sthir lagna sharad purnima in hindi lakshmi puja muhurat

Sharad purnima Muhurat: कब है शरद पूर्णिमा, मां लक्ष्मी की पूजा के लिए स्थिर लग्न यहां देखें

  • Sharad purnima lakshmi puja muhurat पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि का आरंभ 16 अक्टूबर 2024 की रात में 7:45 से होगा जो 17 अक्टूबर 2024 दिन बृहस्पतिवार को दिन में ही 5:22 बजे पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 17 अक्टूबर की पूर्णिमा और रात्रि व्यापिनी पूर्णिमा 16 को है।

Anuradha Pandey लाइव हिन्दुस्तानTue, 15 Oct 2024 10:56 AM
share Share

आश्विन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को पड़ने वाले पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा कहा जाता है। इस वर्ष को कोजागरी पूर्णिमा की तिथि को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। दरअसल इस बार बनारस पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि का आरंभ 16 अक्टूबर 2024 की रात में 7:45 से होगा जो 17 अक्टूबर 2024 दिन बृहस्पतिवार को दिन में ही 5:22 बजे पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 17 अक्टूबर की पूर्णिमा और रात्रि व्यापिनी पूर्णिमा 16 को है।

Sharad Purnima kab hai
ज्योतिर्विद दिवाकर त्रिपाठी के अनुसार 16 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार को मनाया जाएगा । कोजागरी पूर्णिमा के लिए रात्रि व्यापिनी पूर्णिमा होना अति आवश्यक होता है। इसलिए पूर्णिमा 16 अगस्त को मनाई जाएगी। वहीं 17 अक्टूबर को स्नान और दान की पूर्णिमा है। इस दिन उदयातिथि पर स्नान और दान करना शुभ रहेगा। लेकिन पूर्णिमा 16 अक्टूबर को ही मनाया जाना शुभ है। पंचांग के अनुसार 16 अक्टूबर की सुबह पूर्णिमा तिथि नहीं रहेगी, इसलिए शरद पूर्णिमा से जुड़े सुबह किए जाने वाले स्नान और दान 17 तारीख को कर सकते हैं। इसके बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी।

शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त

स्थिर लग्न : शाम 7:18 बजे से रात 8:27 बजे तक

निशीथ काल : मध्यरात्रि 11:07 बजे से 1:25 बजे तक

रात को खीर रखने की है मान्यता
शरद पूर्णिमा के दिन रात को खीर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन खीर में से अमृत बरसता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की रोशनी में रखी हुई खीर खाने से कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है। ऐसा भी कहा जाता है कि पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और जो जाग रहा होता है, उसे सुखसमृद्धि का वरदान देती हैं। उनके आगमन के लिए रात्रि में जागरण भी करना चाहिए।

(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)

अगला लेखऐप पर पढ़ें