Hindi Newsधर्म न्यूज़Sharad Purnima 2024 Aarti Om Jai Jagdish Hare and Om Jai Lakshmi Mata Aarti in hindi

Sharad Purnima Aarti: यहां पढ़ें ॐ जय जगदीश हरे व ओम जय लक्ष्मी माता आरती

  • Sharad Purnima 2024 Aarti: शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। यहां पढ़ें भगवान विष्णु की ॐ जय जगदीश हरे आरती व माता लक्ष्मी की ओम जय लक्ष्मी माता आरती-

Saumya Tiwari लाइव हिन्दुस्तानWed, 16 Oct 2024 11:44 AM
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Sharad Purnima 2024 Aarti: शरद पूर्णिमा आज 16 अक्टूबर 2024, बुधवार को है। शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का खास महत्व है। शरद पूर्णिमा व्रत को कोजागर व्रत के नाम से भी जानते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जो भक्त उन्हें जागता हुआ और भक्ति करता हुआ मिलता है, मां उसे धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं। शरद पूर्णिमा की शा को भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है। पूजा के बाद आरती का विधान है। यहां पढ़ें भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी की आरती।

मां लक्ष्मी की आरती (Maa Lakshmi Aarti)-

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैय्या तुम ही जग माता।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैय्या सुख संपत्ति पाता।

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता, मैय्या तुम ही शुभ दाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता, मैय्या सब सद्गुण आता।

सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता, मैय्या वस्त्र न कोई पाता।

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता, मैय्या क्षीरगदधि की जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता, मैय्या जो कोई जन गाता।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

॥ॐ जय जगदीश हरे आरती॥ ( Lord Vishnu Aarti)

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।

इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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