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शनि, राहु और केतु के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए आषाढ़ नवरात्रि पर करें ये उपाय

  • आषाढ़ मास में 6 से 15 जुलाई तक गुप्त नवरात्र में देवी आराधना के क्रम के बाद भगवान शिव की आराधना में भक्त लीन हो जाएंगे। इस माह गुप्त नवरात्र, सावन का सोमवार एवं सबसे अहम पर्व गुरु पूर्णिमा मनाया जाएगा।

Yogesh Joshi नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 6 July 2024 06:37 AM
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आषाढ़ मास में 6 से 15 जुलाई तक गुप्त नवरात्र में देवी आराधना के क्रम के बाद भगवान शिव की आराधना में भक्त लीन हो जाएंगे। इस माह गुप्त नवरात्र, सावन का सोमवार एवं सबसे अहम पर्व गुरु पूर्णिमा मनाया जाएगा। गुप्त नवरात्र में नौ की जगह 10 देवियों की होगी आराधना-पूरे वर्ष चार नवरात्र पड़ते हैं इनमें दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त नवरात्र रहते हैं। इस साल आषाढ़ गुप्त नवरात्र की शुरुआत शनिवार छह जुलाई से हो रही है। वहीं इसका समापन 15 जुलाई को होगा। इस दौरान चतुर्थी तिथि दो दिन पड़ने से आषाढ़ गुप्त नवरात्र का एक दिन बढ़ जाने से पूरे 10 दिन तक देवी की आराधना होगी।

इस बारे में ज्योतिष विशेषज्ञ पं ध्रुव कुमार शास्त्री ने बताया कि गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्या की साधना की जाती है। जिसमें मां काली, मां तारा ,मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी हैं। तांत्रिकों के लिए गुप्त नवरात्र का महत्व बहुत अधिक होता है। इस नवरात्र में मां की गुप्त रूप से पूजा की जाती है। पहले दिन विरोधियों पर विजय प्राप्त करने के लिए मां काली की पूजा की जाती है। दूसरे दिन मां तारा की आराधना करने से आर्थिक लाभ प्राप्ति होती है। धन, ऐश्वर्य, भोग और मोक्ष प्राप्ति के लिए मां त्रिपुर सुंदरी की अर्चना बताई गई है। संतान प्राप्ति के लिए मां भुनेश्वरी की पूजा का प्रावधान है। चिंताएं दूर करने और मनोकामनाएं पूर्ति के लिए मां छिन्नमस्ता की पूजा को हितकर माना गया है। जीव बंधनों से मुक्ति के लिए मां त्रिपुर भैरव की आराधना करनी चाहिए। सभी प्रकार के संकट दूर कराने के लिए मां धूमावती की पूजा हितकर मानी गई है। भय से मुक्ति और वाक सिद्धि के लिए मां बगलामुखी तथा गृहस्थ जीवन में खुशहाली के लिए मां मातंगी का पूजन बताया गया है। मां कमला की आराधना धन एवं संताप की प्राप्ति के लिए शेषकर मानी गई है।

राहु, केतु, शनि की शांति के लिए करें ये उपाय- मां की अराधना, हवन आदि कर शनि, राहु और केतु के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता है। विपत्तियों से बचाव के लिए गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की उपासना की जाती है।

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