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Hindi Newsधर्म न्यूज़Sawan Shivratri 2024 Mantra chant these shiv mantra and shiv ji ki aarti

19 साल बाद दुर्लभ संयोग में सावन शिवरात्रि, इन मंत्रों के जाप से शिवजी होंगे प्रसन्न,हर मनोकामना होगी पूरी

  • Sawan Shivratri 2024 : ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, करीब 18 साल बाद बेहद शुभ संयोग में आज यानी 2 अगस्त 2024 को सावन शिवरात्रि मनाई जा रही है। इस खास मौके पर इन मंत्रों का जाप जरूर करें।

Arti Tripathi नई दिल्ली, लाइव हिन्दुस्तान टीम   Fri, 2 Aug 2024 01:20 PM
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Sawan Shivratri 2024 : सावन का महीना भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना के लिए विशेष माना गया है। इस पवित्र माह में शिव आराधना के लिए सावन शिवरात्रि का भी पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। आज यानी 2 अगस्त 2024 को सावन शिवरात्रि मनाई जा रही है। इस दिन देवों के देव महादेव की चार प्रहर में पूजा की जाती है। सुहागिन महिलाएं इस दिन सुख-समृद्धि की कामना करते हुए व्रत रखती है। सावन शिवरात्रि का दिन रुद्राभिषेक के लिए भी उत्तम माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य और धर्म-कर्म के कार्य से जीवन में सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, करीब 19 साल बाद सावन शिवरात्रि के मौके पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। हिंदू धर्म में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सुबह शिव पूजन के साथ सायंकाल और निशिता काल पूजा का भी विशेष महत्व है। आप भी आज शिवजी की पूजा करने के दौरान कुछ विशेष मंत्रों का जाप कर सकते हैं। मान्यता है कि इन मंत्रों के जाप से जीवन के सभी दुख-कष्टों से छुटकारा मिलता है। आइए जानते हैं इन सरल मंत्रों के बारे में...

शिवजी का बीज मंत्र : भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए आप सावन शिवरात्रि के दिन उनके बीज मंत्र 'ऊँ नमः शिवाय' का जाप जरूर करें।

शिवजी का प्रिय मंत्र : इस दिन आप शिवजी के प्रिय मंत्र 'ऊँ नमः शिवाय',' नमो नीलकाण्ठाय' या 'ऊँ पार्वतीपतयै नमः' का जाप कर सकते हैं।

महामृत्युंजय मंत्र :

ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।

शिवजी की आरती :

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।

सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

 प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका

ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

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