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रवि प्रदोष व्रत क्यों रखा जाता है? जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि

  • Pradosh Vrat February 2025: पंचांग के अनुसार,कल 09 फरवरी को रवि प्रदोष रखा जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रवि प्रदोष के दिन शिवजी की पूजा करने और व्रत रखने से आरोग्यता का वरदान प्राप्त होता है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 8 Feb 2025 03:53 PM
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रवि प्रदोष व्रत क्यों रखा जाता है? जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि

Pradosh Vrat February 2025: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हुए शिवजी की विधि-विधान से पूजा के लिए समर्पित होता है। रविवार को आने वाले त्रयोदशी तिथि को रवि प्रदोष व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रवि प्रदोष व्रत रखने से साधक को स्वास्थ्य से जुड़ी सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही यह व्रत दीर्घायु और आरोग्यता प्रदान करने वाला है। द्रिक पंचांग के अनुसार, 09 फरवरी 2025 दिन रविवार को रवि प्रदोष रखा जाएगा। स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों से राहत और जीवन में सुख-समृद्धि के लिए इस दिन आप भी शिवजी को प्रसन्न कर सकते हैं। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि...

प्रदोष व्रत 2025: द्रिक पंचांग के अनुसार, माघ महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 09 फरवरी को शाम 7:25 मिनट पर होगी और अगले दिन 10 फरवरी को शाम 06 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 9 फरवरी को प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

प्रदोष काल पूजा का मुहूर्त : हर माह में आने वाले प्रदोष व्रत को शाम को प्रदोष काल शिव पूजन खास मायने रखता है। इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। 9 फरवरी की शाम को 06 बजकर 18 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 49 मिनट तक प्रदोष काल पूजन का शुभ मुहूर्त है।

रवि प्रदोष व्रत 2025: कैसे करें शिव पूजन

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें। नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर स्वच्छ कपड़े धारण करें। इसके बाद शिवजी का ध्यान करें और प्रदोष व्रत का संकल्प लें। शिव-गौरी की पूजा शुरू करें। शिवजी और माता पार्वती के समक्ष दीपक जलाएं। शिव-गौरी की प्रतिमा के सामने फल, फूल, धूप,दीप और नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद प्रदोष काल में शिव पूजा शुरू करें। इसके बाद शिवजी का षोडषोपचार से पूजन करें। शिवलिंग पर गंगाजल, कच्चा दूध, दही, शहद,आक के फूल, धतूरा समेत सभी पूजन सामग्री एकत्रित करें। रवि प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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