Hindi Newsधर्म न्यूज़Ravi Pradosh vrat 2024 on 15 september in sukarma Yoga know muhurat for morning and evening puja time

कल रवि प्रदोष व्रत पर सुकर्मा योग, जानें सुबह व शाम की पूजा का शुभ मुहूर्त

  • Ravi Pradosh vrat 2024 : इस महीने के पहले रवि प्रदोष के दिन शुभ योग व नक्षत्र का निर्माण भी हो रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत रखने से संतान प्राप्ति व सुख का वरदान प्राप्त होता है।

Shrishti Chaubey लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 14 Sep 2024 12:22 PM
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प्रदोष का व्रत हर महीने में 2 बार रखा जाता है। महादेव को समर्पित इस व्रत का खास महत्व माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत रखने से संतान प्राप्ति व सुख का वरदान प्राप्त होता है। इस महीने के पहले रवि प्रदोष के दिन शुभ योग व नक्षत्र का निर्माण भी हो रहा है। कल, रविवार के दिन श्रद्धा के साथ शिव जी की पूजा की जाएगी। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत के दिन किन शुभ योग व नक्षत्र का निर्माण हो रहा है-

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रवि प्रदोष व्रत पर शुभ संयोग

कल रविवार के दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा, रविवार के दिन पड़ने से इस प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। दृक पंचांग के अनुसार, 15 सितंबर के दिन, सुकर्मा योग का निर्माण शाम 03:14 से होगा। सुकर्मा योग को शुभ काम के लिए शुभ माना जाता है। वहीं, इस दिन श्रवण नक्षत्र शाम 6:49 तक रहेगा, जिसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र लग जाएगा।

रवि प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त

शुक्ल त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 15, 2024 को 18:12 बजे

शुक्ल त्रयोदशी तिथि समाप्त - सितम्बर 16, 2024 को 15:10 बजे

दिन का प्रदोष समय - 18:26 से 20:46

अमृत काल- सुबह 09:10 से सुबह 10:39 बजे तक

अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:51 से दोपहर 12:41 बजे तक

शाम की पूजा का शुभ मुहूर्त - शाम 18:26 से शाम 08:46 बजे तक

अवधि - 02 घण्टे 20 मिनट्स

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रवि प्रदोष व्रत की पूजा-विधि

स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण कर लें। शिव परिवार सहित सभी देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करें। अगर व्रत रखना है तो हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें। फिर संध्या के समय घर के मंदिर में गोधूलि बेला में दीपक जलाएं। फिर शिव मंदिर या घर में भगवान शिव का अभिषेक करें और शिव परिवार की विधिवत पूजा-अर्चना करें। अब प्रदोष व्रत की कथा सुनें। फिर घी के दीपक से पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आरती करें। अंत में ॐ नमः शिवाय का मंत्र-जाप करें। अंत में क्षमा प्रार्थना भी करें।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियां मान्यताओं पर आधारित हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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