सुंदर दांत, चौड़ी नाक, भूरे बाल, ऐसे होते हैं मृगशिरा नक्षत्र में जन्में लोग, इमोशंस पर नहीं कर पाते कंट्रोल
इस चरण में जन्मे जातक के ऊंचे कंधे, ऊंची नाक होती है। इस चरण में जन्मा जातक ज्यादा सोच-विचार करनेवाला, सामाजिक, रोमांटिक और उच्च जनसंपर्क अधिकारी होता है।
मृग+शिरा का अर्थ है— हिरण का सिर। यह एक सौम्य नक्षत्र है। यह बिना वजह के संदेह और गलतफहमी का नक्षत्र भी है। इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति नए अनुभवों और बहुआयामी प्रकृति की तलाश करनेवाले, निरंतर चिंतनशील, जल्दी थकनेवाले और सुस्त प्रकृति के होते हैं। मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे व्यक्तियों का जीवन साथी से तनाव रह सकता है। इस नक्षत्र में जन्मा व्यक्ति आध्यात्मिकता की ओर झुकाव रखता है। मृगशिरा नक्षत्र के चार चरणों के प्रभाव
प्रथम चरण इसका स्वामी सूर्य है। इस चरण में शुक्र, मंगल और सूर्य का प्रभाव है। इस चरण की राशि वृषभ 53 डिग्री 20 सेकंड से लेकर 56 डिग्री 40 सेकंड तक होती है। इसमें जन्मे जातक के नेत्र सामान्य, सुंदर दांत, चौड़ी नाक, भूरे बाल होते हैं और ये अहंकारी प्रवृत्ति के होते हैं। जातक शिक्षित, मेधावी व भावुक होता है।
द्वितीय चरण इस चरण का स्वामी बुध है। इसमें शुक्र, मंगल और बुध का प्रभाव होता है। यह चरण वृषभ राशि में 56 डिग्री 40 मिनट से लेकर 60 डिग्री तक होता है। इस चरण में जन्मा जातक अल्प साहसी, डरपोक, दुबला-पतला, कुंठाग्रस्त होने के साथ-साथ गणितज्ञ और अच्छा सैनिक भी हो सकता है।
तृतीय चरण इस चरण का स्वामी शुक्र है। इसमें बुध, मंगल और शुक्र का प्रभाव है। यह चरण मिथुन राशि में 60 डिग्री से लेकर 63 डिग्री 20 सेकंड तक है। इस चरण में जन्मे जातक के ऊंचे कंधे, ऊंची नाक होती है। इस चरण में जन्मा जातक ज्यादा सोच-विचार करनेवाला, सामाजिक, रोमांटिक और उच्च जनसंपर्क अधिकारी होता है।
चतुर्थ चरण इस चरण का स्वामी मंगल है। इसमें बुध, मंगल का प्रभाव होता है। यह चरण मिथुन राशि में 63 डिग्री 20 सेकंड से लेकर 66 डिग्री 40 सेकंड तक होता है। इस चरण में जन्मे जातक धार्मिक वचन, क्रियाशील, हिंसक सेनापति, परामर्शदाता या अच्छे ज्योतिषी भी हो सकते हैं।
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