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Rangbhari Ekadashi : रंगभरी एकादशी कब है? नोट कर लें डेट, पूजा-विधि

  • फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी या रंगभरी एकादशी के रूप में जाना जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। रंगभरी एकादशी के दिन काशी विश्वनाथ वाराणसी में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा होती है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 26 Feb 2025 07:10 PM
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Rangbhari Ekadashi : रंगभरी एकादशी कब है? नोट कर लें डेट, पूजा-विधि

Rangbhari Ekadashi Kab Hai : फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी या रंगभरी एकादशी के रूप में जाना जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। वैसे तो एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित हैं। मगर यह एकमात्र एकादशी है जिसका संबंध भगवान शिव से है। रंगभरी एकादशी के दिन काशी विश्वनाथ वाराणसी में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा होती है। मान्यता है कि इसी दिन बाबा विश्व नाथ माता गौरा का गोना कराकर पहली बार काशी आए थे और उनका स्वागत रंग गुलाल से हुआ था। इसी दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा की जाती है।

आमलकी या रंगभरी एकादशी डेट- सोमवार, मार्च 10, 2025 को

मुहूर्त-

एकादशी तिथि प्रारम्भ - मार्च 09, 2025 को 07:45 ए एम बजे

एकादशी तिथि समाप्त - मार्च 10, 2025 को 07:44 ए एम बजे

पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 11 मार्च को 06:35 ए एम से 08:13 ए एम तक

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 08:13 ए एम

पूजा-विधि:

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।

भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।

भगवान शंकर और माता पार्वती का जल से अभिषेक करें।

अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।

भगवान की आरती करें।

भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।

इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।

इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

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