सुबह से लेकर शाम तक इन मुहूर्त में करें रमा एकादशी की पूजा, जानें मंत्र, भोग, उपाय व सबकुछ
- Rama Ekadashi 2024 Muhurat : रमा एकादशी पर आज कई शुभ योग भी बन रहे हैं। सुबह 06:48 तक ब्रह्म योग रहेगा, जिसके बाद इन्द्र योग का निर्माण होगा। जानें रमा एकादशी पूजा के शुभ मुहूर्त, पारण का दिन, भोग, मंत्र, पूजा-विधि व उपाय
Rama Ekadashi 2024: विष्णु जी को समर्पित रमा एकादशी व्रत 28 अक्टूबर के दिन रखा जाएगा। इसे रंभा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। आज कई शुभ योग भी बन रहे हैं। सुबह 06:48 तक ब्रह्म योग रहेगा, जिसके बाद इन्द्र योग का निर्माण होगा। पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र आज दोपहर 3:24 बजे तक रहेगा। इसके बाद उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र लगेगा। एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु का पूजन विशेष फलदायी होता है। ऐसी मान्यता है कि रमा एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है। आइए जानते हैं रमा एकादशी पूजा के शुभ मुहूर्त, पारण का दिन, भोग, मंत्र, पूजा-विधि व उपाय-
सुबह से लेकर शाम तक इन मुहूर्त में करें रमा एकादशी की पूजा
अमृत - सर्वोत्तम 06:30 से 07:54
शुभ - उत्तम 09:18 से 10:41
चर - सामान्य 13:28 से 14:52
लाभ - उन्नति 14:52 से 16:15 वार वेला
अमृत - सर्वोत्तम 16:15 से 17:39
चर - सामान्य 17:39 से 19:15
लाभ - उन्नति 22:28 से 00:05, अक्टूबर 29 काल रात्रि
एकादशी तिथि कब तक: पंचांग अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि अक्टूबर 27 को सुबह 05:23 बजे शुरू हो गई है, जो अक्टूबर 28 को सुबह 07:50 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, रमा एकादशी का व्रत 28 अक्टूबर के दिन रखा जाएगा। व्रत पारण 29 अक्टूबर को किया जाएगा।
रमा एकादशी शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:48 ए एम से 05:39 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 05:13 ए एम से 06:30 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:42 ए एम से 12:27 पी एम
विजय मुहूर्त- 1:56 पी एम से 2:41 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:39 पी एम से 06:05 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05:39 पी एम से 06:56 पी एम
अमृत काल- 08:12 ए एम से 10:00 ए एम
निशिता मुहूर्त- 11:39 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 29
भोग- गुड़, चने की दाल, किशमिश, केला
मंत्र- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ विष्णवे नम:
उपाय- मान्यताओं के अनुसार, रमा एकादशी के दिन श्री विष्णु चालीसा का पाठ करने और केले के पेड़ की पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।
रमा एकादशी पूजा-विधि
रमा एकादशी के दिन प्रात: काल में स्नान करके भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। पूजा में तुलसी के पत्तों का विशेष महत्व होता है। भगवान विष्णु को पीले फूल, पीतांबर वस्त्र, फल और मिठाई अर्पित करें। रात को जागरण करें। इसके साथ ही भजन कीर्तन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। व्रत कथा सुनें। तुलसी दल सहित भोग लगाएं। आरती गाएं। अंत में क्षमा मांगे।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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