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इस पवित्र त्योहार से जुड़ी हैं कई कहानियां, यहां पढ़ें रक्षा बंधन का पौराणिक महत्व

  • आज रक्षाबंधन का त्योहार है। 1 बजकर 30 मिनट तक भद्रा है। भद्रा एक अशुभ मुहूर्तकाल होता है जो बीते 3 सालों से रक्षाबंधन पर पड़ रहा था। किसी भी शुभ कार्य में भद्रा का विशेष ध्यान रखा जाता है। भद्रा में राखी नहीं बांधी जाती।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तानMon, 19 Aug 2024 10:48 AM
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इस पवित्र त्योहार से जुड़ी हैं कई कहानियां, यहां पढ़ें रक्षा बंधन का पौराणिक महत्व

आज रक्षाबंधन का त्योहार है। 1 बजकर 30 मिनट तक भद्रा है। भद्रा एक अशुभ मुहूर्तकाल होता है जो बीते 3 सालों से रक्षाबंधन पर पड़ रहा था।  किसी भी शुभ कार्य में भद्रा का विशेष ध्यान रखा जाता है। भद्रा में राखी नहीं बांधी जाती। भद्रा सूर्य की पुत्री हैं और उनका स्वभाव क्रूर है। ब्रह्मा जी ने कालगणना और पंचांग में भद्रा को विशेष स्थान दिया है। भद्रा में शुभ कार्य निषिद्ध हैं। रक्षाबंधन भाई और बहन के प्रेम का पवित्र बंधन है। यह त्योहार त्याग और पवित्रता का संदेश देता है। हर साल सावन मास में पूर्णिमा को मनाया जाने वाले इस त्योहार से कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। इस त्योहार को गुरु और शिष्य परंपरा का प्रतीक भी माना जाता है। माना जाता है कि यह त्योहार महाराज दशरथ के हाथों श्रवण कुमार की मृत्यु से जुड़ा है। इसलिए रक्षासूत्र को सबसे पहले गणेश जी को बांधने के बाद श्रवण कुमार को भी अर्पित किया जाता है।

इस त्योहार को श्रावणी और सलूनो नाम से भी जाना जाता है। अमरनाथ की धार्मिक यात्रा रक्षाबंधन के दिन ही पूर्ण होती है। इस त्योहार पर वृक्षों को भी राखी बांधी जाती है। माना जाता है कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों के उपदेश की पूर्णाहुति इसी दिन होती थी। इस त्योहार से महाभारत की कथा भी जुड़ी हुई है। युद्ध में पांडवों की जीत को सुनिश्चित करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने युद्धिष्ठिर को सेना की रक्षा के लिए राखी का त्योहार मनाने का सुझाव दिया था। माता कुंती ने पौत्र अभिमन्यु और द्रोपदी ने भगवान श्रीकृष्ण को राखी बांधी थी। एक बार राजा इंद्र और दानवों के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें देवराज इंद्र की पराजय होने लगी। तब देवराज की पत्नी शुची ने गुरु बृहस्पति के कहने पर देवराज इंद्र की कलाई पर रक्षासूत्र बांधा था। इस रक्षा सूत्र के कारण ही देवराज इंद्र की विजय हुई। मां यमुना ने अपने भाई यमराज को रक्षासूत्र बांधा था। राखी को हमेशा दाहिनी कलाई पर बांधा जाता है। इस त्योहार पर बहनें अपने भाई को राखी बांधकर उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं। भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है। माना जाता है कि अगर शत्रु परेशान कर रहा है तो इस त्योहार पर वरुण देवता की पूजा करने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।

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