रक्षाबंधन पर भद्रा काल में राखी बांधने से बचें, शुभ मुहूर्त दोपहर 1:32 बजे के बाद
- इस वर्ष रक्षाबंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा, लेकिन ज्योतिषी अशोक वार्ष्णेय ने बताया है कि इस दिन भद्रा काल प्रातः 5:52 बजे से दोपहर 1:32 बजे तक रहेगा। इस समय में बहनों द्वारा भाइयों को राखी बांधना अशुभ माना जाता है।
इस वर्ष रक्षाबंधन 19 अगस्त को मनाया जाएगा, लेकिन ज्योतिषी अशोक वार्ष्णेय ने बताया है कि इस दिन भद्रा काल प्रातः 5:52 बजे से दोपहर 1:32 बजे तक रहेगा। इस समय में बहनों द्वारा भाइयों को राखी बांधना अशुभ माना जाता है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, राखी बांधने के लिए भद्रा काल के पश्चात का समय ही उपयुक्त माना जाता है। इसलिए, दोपहर 1:32 बजे के बाद से राखी बांधने का शुभ मुहूर्त शुरू होगा, जो सायंकाल 4:21 बजे तक रहेगा। इसके अतिरिक्त, प्रदोष काल में शाम 6:56 बजे से रात 9:08 बजे तक भी राखी बांधने का शुभ समय रहेगा। ज्योतिषी अशोक वार्ष्णेय ने यह भी जानकारी दी कि 19 अगस्त को उपाकर्म और यज्ञोपवीत धारण करने के लिए सम्पूर्ण दिन शुभ रहेगा, क्योंकि इन कार्यों में भद्रा का विचार नहीं किया जाता है। इसलिए, सूर्योदय के पश्चात पूरे दिन में उपाकर्म और जनेऊ धारण किया जा सकता है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे शुभ मुहूर्त का ध्यान रखते हुए राखी बांधें और इस पवित्र त्योहार को धूमधाम से मनाएं।
पूजा-सामग्री की पूरी लिस्ट-
राखी-
रक्षाबंधन के पर्व में सबसे जरूरी चीज राखी होती है। पूजा की थाली में राखी का होना बहुत जरूरी है।
रोली
रक्षाबंधन के दिन बहनें सबसे पहले भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं। तिल क लगाने के लिए रोली की आवश्यकता होती है। रक्षाबंधन के दिन पूजा थाली में राखी को जरूर रखें। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले तिलक लगाने की परंपरा है।
चावल
तिलक लगाने के बाद माथे पर चावल भी लगाया जाता है। इसको अक्षत भी कहते हैं। रक्षाबंधन के दिन पूजा की थाली में चावल जरूर रखें।
आरती के लिए दीपक
रक्षाबंधन के दिन बहनें भाई की आरती भी उतराती हैं। आरती उतारने के लिए दीपक की जरूरत होगी, इसलिए पूजा की थाली में दीपक को जरूर रखें।
मिठाई
त्योहारों हो और मिठाई न हो तो ऐसा हो ही नहीं सकता है। रक्षाबंधन के पावन पर्व में बहनें भाई को मिठाई खिलाती हैं। पूजा की थाली में मिठाई जरूर रखें।
बहनें भाई को राखी बांधते समय इस मंत्र को पढ़ें-
ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामभि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।
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