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रक्षाबंधन: भाई-बहन के पवित्र त्योहार पर भद्रा का साया, 90 साल बाद सर्वार्थ सिद्धि, रवि और शोभन योग

  • भाई बहन के सम्मान और प्रेम के प्रतीक का पर्व रक्षाबंधन हर वर्ष सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस बार राखी का पर्व भद्रा और पंचक के चलते विस्मय की स्थिति में बना हुआ है

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तानMon, 19 Aug 2024 06:43 AM
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भाई बहन के सम्मान और प्रेम के प्रतीक का पर्व रक्षाबंधन हर वर्ष सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस बार राखी का पर्व भद्रा और पंचक के चलते विस्मय की स्थिति में बना हुआ है। उदयातिथि के आधार पर रक्षाबंधन पर्व 19 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन भद्रा सुबह 05:52 मिनट से दोपहर 01:29 मिनट तक रहेगी। यह समय राखी बांधने के लिए निषेध है।

ज्योतिषाचार्य गौरीशंकर शर्मा ने बताया कि श्रावण सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त सोमवार को सुबह 03:04 मिनट से शुरू होकर इसी दिन रात्रि 11:55 तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर रक्षाबंधन पर्व 19 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन भद्राकाल प्रात 05:52 मिनट से दोपहर 01:29 मिनट तक रहेगा। यह समय राखी बांधने के लिए निषेध रहेगा है। इस बार भद्रा काल प्रात 05:52 मिनट से दोपहर 1:32 मिनट तक रहने के कारण राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:32 से प्रारम्भ होकर पूरे दिन रहेगा। इसके अतिरिक्त, प्रदोष काल में सांय 6:56 मिनट से रात्रि 9:08 बजे तक दो घंटे की अवधि तक राखी बांधने का शुभ समय रहेगा। इस दिन यज्ञोपवीत धारण करने के लिए सम्पूर्ण दिन शुभ रहेगा, क्योंकि इस कार्य में भद्रा का विचार नहीं किया जाता है, वहीं उपाकर्म के लिए भद्रा के पश्चात किसी भी समय का उपयोग किया जा सकता है।

90 साल बाद सर्वार्थ सिद्धि, रवि और शोभन योग

ज्योतिषाचार्य गौरीशंकर शर्मा ने बताया कि 90 साल बाद इस रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शोभन योग के साथ श्रवण नक्षत्र एक साथ बन रहे हैं। इसके साथ ही इस दिन सावन का आखिरी सोमवार होने के साथ चंद्रमा कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। चंद्रमा के स्वामी देवाधिदेव महादेव है, वहीं कुंभ शनि की राशि है, ऐसे में इस दिन सभी राशियों को भगवान शिव के साथ शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होगी। इतना ही नहीं इस दिन सिंह राशि में सूर्य, बुध और शुक्र की युति हो रही है, जिससे शुक्रादित्य, बुधादित्य, लक्ष्मी नारायण योग, त्रिग्रही योग के साथ शनि कुंभ राशि में रहकर शश राजयोग का भी निर्माण कर रहे हैं।

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