रक्षा बंधन महापर्व आज, अमृत योग में भाई की कलाई पर बहनें बांधेंगी राखी
- रक्षा बंधन सोमवार को मनाया जाएगा। रक्षा बंधन भाई-बहन के अटूट स्नेह और प्रेम का त्योहार है। सावन महीने के अंतिम सोमवार और पूर्णिमा होने से रक्षा बंधन का खास महत्व है। पंडित आचार्य धर्मेंद्र नाथ मिश्र ने बताया कि इस बार बहनें अपने भाईयों की कलाई पर अमृत योग में राखी बांधेगी।
रक्षा बंधन सोमवार को मनाया जाएगा। रक्षा बंधन भाई-बहन के अटूट स्नेह और प्रेम का त्योहार है। सावन महीने के अंतिम सोमवार और पूर्णिमा होने से रक्षा बंधन का खास महत्व है। पंडित आचार्य धर्मेंद्र नाथ मिश्र ने बताया कि इस बार बहनें अपने भाईयों की कलाई पर अमृत योग में राखी बांधेगी। रक्षा बंधन के दिन खास संयोग बन रहा है। भाई और बहनों पर भोलेनाथ की विशेष कृपा बरसेगी। उन्होंने कहा कि इस दिन अति विशेषता का योग भी बन रहा है।
कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने ह्यग्रीव अवतार धारण कर अपने भक्तों का उद्धार किया था। इस दिन याज्ञबल्क ऋषि की जयंती भी मनायी जाएगी। उन्होंने कहा कि बहनों को शुभ मुहूर्त में भाईयों की कलाई पर राखी बांधनी चाहिए। इससे राखी बांधने का शुभ फल मिलता है। आचार्य धर्मेन्द्रनाथ मिश्र के मुताबिक राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दिन में 1 बजकर 32 मिनट के बाद है। 1 बजकर 32 मिनट से पहले भद्रा का वास है। यह राखी बांधने के लिए वर्जित माना जाता है। उन्होंने कहा कि भद्रा में दो कार्य वर्जित हैं। एक फाल्गुनी पूर्णिमा और दूसरा रक्षा बंधन। उन्होंने कहा कि बहन को भाई की कलाई पर मंत्र का उच्चारण कर राखी बांधनी चाहिए।
महाभारत के मुताबिक द्रौपदी भगवान श्री कृष्ण को भाई कहती थीं। एक बार श्रीकृष्ण की उंगली कट गई। द्रौपदी ने अपनी पहनी साड़ी को फाड़कर मधुसूदन की उंगली पर एक पट्टी बांध दी। चीरहरण होने पर श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज रखी। श्रीकृष्ण ने जीवन भर द्रौपदी की सहायता की। भाई-बहन के प्रेम और भावना ही रक्षाबंधन त्योहार का आधार है। शास्त्रों में देवलोक में पत्नी रक्षा से अभिमंत्रित धागों को पति की कलाई पर बांधने का जिक्र है। जबकि धरती पर भाई की कलाई पर बहन राखी बांधने का चलन शुरू हुआ। देवलोक में सर्वप्रथम रक्षा के धागों को पत्नी इंद्राणी ने अपने पति इंद्र को बांधा। इसे पतिरक्षा सूत्र भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि रक्षाबंधन त्योहार से हमारे समाज में काफी सुधार हुआ है। कुछ ऐसे नियम प्रतिपादित हुए जिसे समाज को बहुत लाभ हुआ। कलयुग में हम सबों को रक्षाबंधन की आवश्यकता है ।
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