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रक्षाबंधन पर भद्रा का साया, सुबह से नहीं बांध पाएंगे रक्षासूत्र

  • रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं, लेकिन इस बार रक्षाबंधन के दिन भ्रदा का साया है। ऐसे में रक्षासूत्र बांधने के लिए समय का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।

Yogesh Joshi नई दिल्ली, लाइव हिन्दु्स्तान टीमMon, 29 July 2024 07:43 PM
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रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं, लेकिन इस बार रक्षाबंधन के दिन भ्रदा का साया है। ऐसे में रक्षासूत्र बांधने के लिए समय का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है और ज्योतिषशास्त्र के अनुसार 19 अगस्त रक्षाबंधन पर कई शुभ मुहूर्त राखी बांधने के लिए हैं।

श्री लक्ष्मी ज्योतिष केंद्र से ज्योतिष अन्वेषक अमित गुप्ता ने बताया कि 19 अगस्त को पूर्णिमा तिथि की शुरुआत ब्रह्ममुहूर्त 03:04 बजे से हो रही है और रात्रि में 11:55 बजे तक रहेगी। पूर्णिमा के आरंभ के साथ ही भद्रा काल शुरू है। कुछ पंचागों के अनुसार भद्रा सुबह 05:53 बजे से शुरु होगी और दोपहर 01:32 बजे तक रहेगी। भद्रा समाप्ति के बाद दोपहर 01:33 बजे से रात्रि 10.00 बजे तक बहनें, भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांध सकती हैं। रक्षाबंधन पर तीन शुभ योग भी हैं, जिसमें शोभन योग पूरे दिन रहेगा। रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5:53 बजे से सुबह 8:10 बजे तक रहेगा। इस अवधि में नित्य पूजन पाठ आदि किया जा सकता है।

वहीं, ज्योतिषचार्य भारत ज्ञान भूषण के अनुसार 19 अगस्त को सुबह 3:07 बजे से पूर्णिमा का आरंभ हो रहा है और साथ में भद्रा भी लग जाएगी, जो कि दोपहर 01:34 बजे तक रहेगी। रक्षाबंधन में भद्रा का साया हो, तो राखी बांधना उचित नहीं माना जाता है। इसलिए रक्षासूत्र भद्रा समाप्ति के बाद होगा। दो शुभ मुहूर्त भी हैं, जिसमें चर योग दोपहर 02:00 बजे से 03:40 बजे तक रहेगा और लाभामृत मुहूर्त 03:40 बजे से 06:56 बजे तक रहेगा। यह बहुत शुभ मुहूर्त है।

पूजा-सामग्री की पूरी लिस्ट-

राखी-

रक्षाबंधन के पर्व में सबसे जरूरी चीज राखी होती है। पूजा की थाली में राखी का होना बहुत जरूरी है।

रोली

रक्षाबंधन के दिन बहनें सबसे पहले भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं। तिल क लगाने के लिए रोली की आवश्यकता होती है। रक्षाबंधन के दिन पूजा थाली में राखी को जरूर रखें। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले तिलक लगाने की परंपरा है।

चावल

तिलक लगाने के बाद माथे पर चावल भी लगाया जाता है। इसको अक्षत भी कहते हैं। रक्षाबंधन के दिन पूजा की थाली में चावल जरूर रखें।

आरती के लिए दीपक

रक्षाबंधन के दिन बहनें भाई की आरती भी उतराती हैं। आरती उतारने के लिए दीपक की जरूरत होगी, इसलिए पूजा की थाली में दीपक को जरूर रखें।

मिठाई

त्योहारों हो और मिठाई न हो तो ऐसा हो ही नहीं सकता है। रक्षाबंधन के पावन पर्व में बहनें भाई को मिठाई खिलाती हैं। पूजा की थाली में मिठाई जरूर रखें।

बहनें भाई को राखी बांधते समय इस मंत्र को पढ़ें-

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामभि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।

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