रक्षाबंधन पर भद्रा, राखी बांधने के लिए आज भी करना होगा दोपहर तक इंतजार
- रक्षाबंधन पर इस बार भी भद्रा का साया है। इस वजह से सोमवार को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 130 बजे के बाद से है। ज्योतिषियों की राय में शुभ कार्यों में भद्रा का ध्यान रखना चाहिए
रक्षाबंधन भाई- बहन का पावन त्योहार है। हिंदू धर्म में इस त्योहार का बहुत अधिक महत्व होता है। हर साल सावन मास की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाता है। रक्षाबंधन के दिन बहन भाई की कलाई में राखी बांधती हैं और भाई बहन को उपहार देता है। इस साल 12 अगस्त को रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाएगा। रक्षाबंधन के पर्व में राखी बांधने से पहले बहनें पूजा की थाली तैयार करती हैं। रक्षाबंधन पर इस बार भी भद्रा का साया है। इस वजह से सोमवार को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 130 बजे के बाद से है। ज्योतिषियों की राय में शुभ कार्यों में भद्रा का ध्यान रखना चाहिए। रक्षाबंधन का पर्व सनातन संस्कृति के पांच प्रमुख पर्वों में से एक है।
तीन साल से प्रभावित हो रहा रक्षाबंधन
पिछले तीन साल से भद्रा के कारण रक्षाबंधन का पर्व प्रभावित हो रहा है। पिछले साल भी 30 और 31 अगस्त का भ्रम पैदा हो गया था। इस बार रात्रिकालीन भद्रा के कारण बहनों को दोपहर तक राखी बांधने के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। 19 अगस्त को सूर्योदय से पहले ही यानी रात्रि 304 बजे से भद्रा लग जाएगी जो दोपहर 129 बजे तक रहेगी। इसके बाद ही रक्षाबंधन का पर्व होगा।
भद्रा के साये में राखी नहीं बांधी जाती
धार्मिक आधार पर यदि भद्रा का साया हो तो राखी नहीं बांधी जाती। भद्रा को क्रूर और आसुरी प्रवृत्ति माना गया है। ज्योतिषियों की राय में राखी का सीधा संबंध सूर्य और मंगल से है। मान्यता है कि संध्याकाल के बाद राखी नहीं बांधनी चाहिए। विषम परिस्थितियां अपवाद हैं। इसलिए 19 अगस्त को सायं 626 बजे तक राखी बांध लेनी चाहिए। विषम परिस्थिति में रात्रि 1225 बजे तक का समय है।
पूजा-सामग्री की पूरी लिस्ट-
राखी-
रक्षाबंधन के पर्व में सबसे जरूरी चीज राखी होती है। पूजा की थाली में राखी का होना बहुत जरूरी है।
रोली
रक्षाबंधन के दिन बहनें सबसे पहले भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं। तिल क लगाने के लिए रोली की आवश्यकता होती है। रक्षाबंधन के दिन पूजा थाली में राखी को जरूर रखें। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले तिलक लगाने की परंपरा है।
चावल
तिलक लगाने के बाद माथे पर चावल भी लगाया जाता है। इसको अक्षत भी कहते हैं। रक्षाबंधन के दिन पूजा की थाली में चावल जरूर रखें।
आरती के लिए दीपक
रक्षाबंधन के दिन बहनें भाई की आरती भी उतराती हैं। आरती उतारने के लिए दीपक की जरूरत होगी, इसलिए पूजा की थाली में दीपक को जरूर रखें।
मिठाई
त्योहारों हो और मिठाई न हो तो ऐसा हो ही नहीं सकता है। रक्षाबंधन के पावन पर्व में बहनें भाई को मिठाई खिलाती हैं। पूजा की थाली में मिठाई जरूर रखें।
बहनें भाई को राखी बांधते समय इस मंत्र को पढ़ें-
ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामभि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।
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