Pradosh: दिसंबर में प्रदोष व्रत कब है? जानें डेट, मुहूर्त व पूजा की विधि
- Pradosh Vrat December : प्रदोष के दिन व्रत रखकर संध्या के वक्त शिव भगवान समेत उनके पूरे परिवार की उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
Pradosh Vrat: दिसंबर महीने का प्रदोष का व्रत भोलेनाथ को समर्पित है। दिसंबर में 2 बार प्रदोष व्रत की तिथि पड़ रही है। एक शुक्र प्रदोष व्रत तो दूसरा शनि प्रदोष व्रत। प्रदोष के दिन व्रत रखकर संध्या के वक्त शिव भगवान समेत उनके पूरे परिवार की उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं दिसंबर के महीने में कब-कब प्रदोष व्रत रखा जाएगा, पूजा की विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त-
दिसंबर में प्रदोष व्रत कब है?
दृक पंचांग के अनुसार, दिसंबर महीने की शुक्ल त्रयोदशी तिथि 12 दिसंबर को प्रारम्भ हो रही है, जो 13 दिसंबर की सुबह तक रहेगी। ऐसे में दिसंबर का पहला शुक्ल प्रदोष व्रत 13 दिसंबर को रखा जाएगा। वहीं, दिसंबर महीने की कृष्ण त्रयोदशी तिथि 28 दिसंबर को प्रारम्भ हो रही है, जो 29 दिसंबर की सुबह तक रहेगी। पंचांग अनुसार,दिसंबर का दूसरा कृष्ण प्रदोष व्रत 28 दिसंबर को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, नीचे दिए गए शुभ मुहूर्त में करें पूजा-पाठ-
शुभ मुहूर्त-
1. शुक्र शुक्ल प्रदोष व्रत, त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - दिसम्बर 12, 2024 को रात 10:26 बजे
शुक्र शुक्ल प्रदोष व्रत, त्रयोदशी तिथि समाप्त - दिसम्बर 13, 2024 को शाम 07:40 बजे
प्रदोष पूजा मुहूर्त - 05:26 पी एम से 07:40 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 14 मिनट्स
दिन का प्रदोष समय - 05:26 पी एम से 08:10 पी एम
2. शनि कृष्ण प्रदोष व्रत, त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - दिसम्बर 28, 2024 को 02:26 ए एम
शनि कृष्ण प्रदोष व्रत, त्रयोदशी तिथि समाप्त - दिसम्बर 29, 2024 को 03:32 ए एम
प्रदोष पूजा मुहूर्त - 05:33 पी एम से 08:17 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 44 मिनट्स
दिन का प्रदोष समय - 05:33 पी एम से 08:17 पी एम
पूजा-विधि
स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण कर लें। शिव परिवार सहित सभी देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करें। अगर व्रत रखना है तो हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें। फिर संध्या के समय घर के मंदिर में गोधूलि बेला में दीपक जलाएं। फिर शिव मंदिर या घर में भगवान शिव का अभिषेक करें और शिव परिवार की विधिवत पूजा-अर्चना करें। अब प्रदोष व्रत की कथा सुनें। फिर घी के दीपक से पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आरती करें। अंत में ॐ नमः शिवाय का मंत्र-जाप करें। अंत में क्षमा प्रार्थना भी करें।
मंत्र- ॐ नमः शिवाय
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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