Papankusha Ekadashi vrat 2024: पापाकुंशा एकादशी कब है उत्तम, हरिवासर में करें पारण, जानें किन 10 पीढ़ी का होता है उद्धार
- Papankusha Ekadashi kab hai ऐसी मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी व्रत को करने से दस पीढ़ी मातृ पक्ष तथा दस पीढ़ी पितृ पक्ष दस पीढ़ी स्त्री पक्ष तथा दस पीढ़ी मित्र पक्ष का उद्धार हो जाता है। अर्थात पापों से मुक्ति मिल जाती है।
Papankusha Ekadashi 2024 kab hai, parana time: त्येक वर्ष आश्विन शुक्ल पक्ष एकादशी को पापांकुशा एकादशी व्रत किया जाता है। श्री हरि विष्णु जी की आराधना के लिए एकादशी व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एकादशी व्रत प्रत्येक वर्ष दशहरा के एक दिन बाद पड़ता है। ऐसी मान्यता है कि वनवास से लौटने के बाद भगवान राम और उनके भाई भारत का मिलाप भी इसी एकादशी के दिन हुआ था। इसी कारण से इस तिथि का महत्व अनंत गुना बढ़ जाता है। पापांकुशा एकादशी व्रत करने से आध्यात्मिक ऊर्जा की वृद्धि होती है । सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाने से सुख शांति में वृद्धि होती है। इस व्रत को करने से पापों पर अंकुश लग जाता है इसी कारण से पापांकुशा एकादशी कहा जाता है।
Kab Hai Papankusha Ekadashi
इस वर्ष पापांकुशा एकादशी व्रत 13 अक्टूबर दिन रविवार को किया जाएगा। एकादशी तिथि का मान शनिवार की रात अर्थात रविवार को सूर्योदय पूर्व 4:19 से ही आरंभ हो जाएगा, जो 13 अक्टूबर दिन रविवार को रात में 2:30 तक व्याप्त रहेगा । इसलिए निर्विवाद रूप से पापांकुशा एकादशी व्रत 13 अक्टूबर दिन रविवार को पूर्ण विधि विधान के साथ किया जाएगा । इस दिन पूरा दिन और रात में 11:48 से पहले रवि योग तथा जायद योग रहेगा। इस कारण से रवि योग एवं जयद योग का पूर्ण फल प्राप्त होगा। जो लोग भी इस दिन श्रद्धा भाव के साथ उपवास करते हैं। उनके घर में सुख शांति का वास बना रहता है। वैसे तो एकादशी व्रत भारत में भगवान श्री हरि विष्णु तथा माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है परंतु पापांकुशा एकादशी व्रत के दिन भगवान श्री हरि विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा किया जाता है । इससे श्री हरि विष्णु तथा माता लक्ष्मी अति प्रसन्न होते हैं। 13 अक्टूबर दिन रविवार को भद्रा दिन में 3:25 से आरंभ हो जाएगा, जो रात में 2:30 तक व्याप्त होगा। इस कारण से इस दिन की पूजा आराधना सूर्योदय से लेकर दिन में 3:25 बजे से पूर्व कर लेना ज्यादा लाभ दायक होगा।
Parana time
इस व्रत को पूर्ण विधि विधान के साथ करना चाहिए। एकादशी तिथि में व्रत, पूजन तथा जप करना चाहिए तथा अगले दिन सूर्योदय के बाद इस व्रत उपवास का पारण करना चाहिए। क्योंकि एकादशी तिथि व्रत के पारण का विशेष महत्व होता है। इसीलिए द्वादशी तिथि में ही पारण कर लेना चाहिए। द्वादशी तिथि का चौथा घंटा हरिवासर माना जाता है। इसलिए चौथ घंटे में व्रत का पारण बहुत अच्छा माना जाता है। हरिवासर का समय 11.56 है। इस समय आप व्रत का पारण कर सकते हैं।
व्रत से लाभ:- ऐसी मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी व्रत करने वाले को हजार अश्वमेध यज्ञ तथा हजार सूर्य महायज्ञ के समान फल प्राप्त होता है । इस व्रत को करने से सभी प्रकार के जाने अनजाने में किए गए पाप खत्म हो जाते हैं।
व्रत का महत्व
भगवान श्री कृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को इस व्रत के बारे में बताया था। इस दिन व्रत उपवास करने से पापों का नाश होता है। युधिष्ठिर कहते हैं कि जो मनुष्य धनुर्धारी भगवान विष्णु के शरण में जाता है। उसे किसी भी प्रकार के यम यातना नहीं सहनी पड़ती है> मानसिक, शारीरिक तथा सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से धन-धान्य तथा सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। यह भी माना जाता है कि जो साधक इस व्रत को पूरे श्रद्धा भाव के साथ करता है। उसके जीवन में जाने अनजाने में हुए किसी भी तरीके के पाप कर्म का प्रभाव अगले जन्म तक नहीं जाता है।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)
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