Akshay Navami: 2 शुभ योग में अक्षय नवमी, जानें सुबह से लेकर शाम तक पूजा के शुभ मुहूर्त
- Akshay Navami : अक्षय नवमी पर आंवला पेड़ की पूजा का महत्व है। मान्यता है कि अक्षय नवमी पर भगवान विष्णु व आंवला पूजन से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। जानें अक्षय नवमी पर बन रहे शुभ योग, शुभ मुहूर्त व क्या दान करना चाहिए-
Akshay Navami: कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी यानी अक्षय नवमी रविवार को है। भगवान विष्णु को आंवला व तुलसी बहुत प्रिय होती है। अक्षय नवमी पर आंवला पेड़ की पूजा का महत्व है। मान्यता है कि अक्षय नवमी पर भगवान विष्णु व आंवला पूजन से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। अक्षय नवमी के दिन शुभ योगों का निर्माण भी हो रहा है। आइए जानते हैं अक्षय नवमी पर बन रहे शुभ योग, शुभ मुहूर्त व क्या दान करें-
2 शुभ योग में अक्षय नवमी: पंचांग अनुसार, इस साल 2 शुभ योग में अक्षय नवमी या आंवला नवमी मनायी जाएगी। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र सुबह 10:59 तक, जिसके बाद शतभिषा नक्षत्र रहेगा। ध्रुव योग रात्रि 01:42, नवम्बर 11 तक रहेगा व रवि योग सुबह 10:59 से अगले दिन की सुबह 06:41, नवम्बर 11 तक रहेगा।
सुबह से लेकर शाम तक पूजा के शुभ मुहूर्त
- शुभ - उत्तम 08:01 से 09:22
- चर - सामान्य 12:05 से 13:26
- लाभ - उन्नति 13:26 से 14:48वार वेला
- अमृत - सर्वोत्तम 14:48 से 16:09
- लाभ - उन्नति 17:30 से 19:09 काल रात्रि
- शुभ - उत्तम 20:48 से 22:26
- अमृत - सर्वोत्तम 22:26 से 00:05, नवम्बर 10
- ब्रह्म मुहूर्त- 04:55 से 05:47
- प्रातः सन्ध्या- 05:21 से 06:40
- अभिजित मुहूर्त- 11:43 से 12:27
- विजय मुहूर्त- 13:53 से 14:36
- गोधूलि मुहूर्त- 17:30 से 17:56
- सायाह्न सन्ध्या- 17:30 से 18:49
- अमृत काल- 02:52, नवम्बर 11 से 04:23, नवम्बर 11
- निशिता मुहूर्त- 23:39 से 00:32, नवम्बर 11
दान करें: अक्षय नवमी में आंवला के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। आचार्य नवीन चंद्र मिश्र वैदिक ने बताया कि रविवार के कारण लोगों में भ्रम है कि इस दिन आंवला के पास जाकर दान-पुण्य नहीं करना चहिए। लेकिन, यह नियम पूरे कार्तिक माह जो व्रतोपवास करते हैं उनके लिए। आम लोग रविवार को आंवला के पास पूजा-पाठ व दान-पुण्य कर सकते हैं। आचार्य के अनुसार, भगवान विष्णु को आंवला अत्यंत प्रिय है। आंवला की पूजा के बाद वृक्ष के नीचे मान्यता के अनुसार भूरा दान किया जाता है। आंवला के पेड़ के नीचे भोजन बनाने का महत्व है। इसके बाद ब्राह्मण को बनाए भोजन खिलाकर परिजनों के साथ प्रसाद के रूप में पकवान ग्रहण किया जाता है। पद्य पुराण के अनुसार, कार्तिक शुक्ल नवमी को आंवले वृक्ष की पूजा, भूरा दान, सौभाग्य द्रव्य का दान और वृक्ष के नीचे भोजन करना चाहिए। ऐसा करने से सूर्य ग्रहण के समय कुरुक्षेत्र में दान के समान फल मिलता है। आचार्य ने बताया, अक्षय नवमी के दिन किए गए दान-पुण्य का फल अक्षय होता है। आंवले का धार्मिक महत्व के साथ-साथ आयुर्वेद में भी काफी महत्व है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।