Narak Chaturdashi : नरक चतुर्दशी आज, नोट कर लें पूजा-विधि
- कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी, नरका चौदस का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन यमराज की पूजा करने का विधान है। कहा जाता है कि इस दिन दीपदान करने और यमराज की पूजा करने से यमराज प्रसन्न होते हैं।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी, नरका चौदस का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन यमराज की पूजा करने का विधान है। कहा जाता है कि इस दिन दीपदान करने और यमराज की पूजा करने से यमराज प्रसन्न होते हैं। यही नहीं नरक चतुर्दशी की रात घर के बाहर चौमुखी दीपक जलाना चाहिए। धनतेरस महापर्व के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी और छोटी दिवाली मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तेल या उबटन लगाकर मालिश करने के बाद स्नान करना चाहिए और विधि-विधान यमराज की पूजा करके शाम को दीपदान करना चाहिए। इस साल नरक चतुर्दशी और छोटी दिवाली 30 अक्टूबर को है।
पहली मान्यता यह है कि भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर को इसी दिन मारकर मुक्ति दिलाई थी। इसी खुशी में उत्सव मनाया जाता है। इसी कारण इसे छोटी दिवाली कहते हैं। दूसरी मान्यता यह है कि राजा बलि को भगवान विष्णु ने प्रतिवर्ष इन तीन दिनों का राजा बनाने की व्यवस्था की है। बलि के राज्य में दीप मालाओं का आयोजन करने से स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
नरक चतुर्दशी के दिन लोग भगवान कृष्ण, काली माता, यम और हनुमान जी की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इससे आत्मा की शुद्धि होती हैऔर पूर्व में किए गए पापों का नाश होता है। इसके साथ ही नरक में जाने से भी मुक्ति मिलती है। कुछ स्थानों पर छोटी दिवाली के मौके पर नरकासुर का पुतला दहन किया जात है। यह देश के विभिन्न इलाकों में मनाया जाता है।
पूजा-विधि:
इस दिन शरीर पर तिल के तेल की मालिश करके सूर्योदय से पहले स्नान करनेका विधान है। स्नान के दौरान अपामार्ग (एक प्रकार का पौधा) को शरीर पर स्पर्श करना चाहिए। अपामार्गको निम्न मंत्र पढ़कर मस्तक पर घुमाना चाहिए-
ता लो समा यु सकटकदला तम्।
हर पा पमपा मा र्ग यमा ण: पुन: पुन:।।
नहाने के बाद साफ कपड़े पहनकर, तिलक लगाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके निम्न मंत्रों से प्रत्येक नाम सेतिलयुक्त तीन-तीन जलांजलि देनी चाहिए। यह यम-तर्पण कहलाता है।इससे वर्षभर के पाप नष्ट हो जातेहैं-
ऊं यमाय नम:, ऊं धर्मराजाय नम:, ऊं मृत्यवेनम:, ऊं अन्तकाय नम:, ऊं वैवस्वताय नम:, ऊं कालाय नम:, ऊं सर्वभूतक्षयाय नम:, ऊं औदुम्बराय नम:, ऊं दध्राय नम:, ऊं नीलाय नम:, ऊं परमेष्ठिनेनम:, ऊं वृकोदराय नम:, ऊं चित्राय नम:, ऊं चित्रगुप्गुताय नम
इस प्रकार तर्पण कर्म सभी पुरुषों को करना चाहिए, चाहे उनके माता-पिता गुजर चुके हों या जीवित हों। फिर देवताओं का पूजन करके शाम के समय यमराज को दीपदान करने का विधान है। नरक चतुर्दशी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा भी करनी चाहिए, क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था। इस दिन जो भी व्यक्ति विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करता है, उसके मन के सारे पाप दूर हो जाते हैंऔर अंत में उसे बैकुंठ में स्थान मिलता है।
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